बाजार नियामक सेबी ने गुरुवार को सात अभियुक्तों पर 1.6 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया, जिसमें कोटक महिंद्रा ट्रस्टी कंपनी और कोटक एएमसी के एमडी निलेश शाह समेत 5 अन्य लोगों का नाम शामिल हैं। इन लोगों पर आरोप है कि एस्सेल ग्रुप की कंपनियों में निवेश करते समय इनकी ओर से सेबी द्वारा निर्धारित किए गए म्यूच्यूअल फंड निवेश नियमों का उल्लंघन किया गया।

अन्य पांच लोगों में कोटक एएमसी के फंड मैनेजर लक्ष्मी अय्यर, दीपक अग्रवाल, अभिषेक बिसेन, अनुपालन अधिकारी जॉली भट्ट और निवेश समिति के सदस्यों में एक गौरांग शाह का नाम शामिल हैं। बता दें, सेबी की ओर से दिए गए आदेश में साफ तौर कहा गया है कि ये जुर्माना सभी अभियुक्तों को 45 दिनों के भीतर जमा कराना है।

जानिए क्या है पूरा मामला?: यह मामला 2019 के अप्रैल और मई के महीने में मैच्योर हो चुकी छह एफएमपी योजनाओं से जुड़ा हुआ है, जिसके तहत एडिशंस यूटिलिटी वर्क प्राइवेट लिमिटेड और कोंटी इंफ्रापावर एंड मल्टीवेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से जारी ऋण प्रतिभूतियों (Debt Securities) में निवेश किया हुआ था। ये दोनों कंपनियां एस्सेल समूह से जुड़ी हुई थी। इन ऋण प्रतिभूतियों को ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के इक्विटी शेयरों को गिरवी रख कर जारी किया गया था।

इसके बाद कोटक महिंद्रा ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) ने एस्सेल ग्रुप के प्रमोटरों के साथ एक एग्रीमेंट किया, जिसमें इन ऋण प्रतिभूतियों की मेच्योरिटी तारीखों को आगे बढ़ा दिया गया था। हालांकि इसमें चौंकाने वाली बात यह थी कि कंपनी की ओर से निवेशकों को इन 6 योजनाओं के तहत मेच्योरिटी पर किया जाने वाला भुगतान भी नहीं किया गया था।

सेबी ने अपनी जांच में पाया कि कोटक महिंद्रा ट्रस्टी कंपनी, जो कि कोटक एएमसी की ट्रस्टी है। वह योजनाओं से जुड़ी जानकारी निवेशक को तक पहुंचाने में असफल रही और ना ही उसने एस्सेल ग्रुप की कंपनी की खराब हालत के बारे में निवेशकों को अवगत कराया जबकि जनवरी 2019 से उसे इस मामले की पूरी जानकारी थी।

सेबी ने कोटक महिंद्रा ट्रस्टी कंपनी ( 40 लाख रुपए), नीलेश शाह (30 लाख रुपए), अय्यर (25 लाख रुपए), अग्रवाल (20 लाख रुपए), भट्ट (10 लाख रुपए), बिसेन (15 लाख रुपए) और गौरांग शाह (20 लाख रुपए) का जुर्माना लगाया है।