देश में एक बार फिर से खादी की लोकप्रियता जोर पकड़ रही है। लोग खादी को न सिर्फ कपड़े के एक बड़े ब्रांड के रूप में देख रहे हैं बल्कि एक इसे स्वदेशी अभियान से जोड़कर भी देखा जा रहे हैं। यही कारण है कि खादी इंडिया की बिक्री का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के राज्यमंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने एक सवाल के जवाब में लोकसभा को जानकारी दी कि इस वित्त वर्ष के शुरुआती 9 महीनों में खादी की बिक्री 3,030 करोड़ रुपए की हुई है जबकि पिछले वित्त वर्ष में कुल बिक्री करीब 3527 करोड़ रुपए थी।

खादी की बिक्री बढ़ाने का कारण: मोदी सरकार ने खादी ने को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं इसमें देशभर में खादी उत्पादों की बिक्री के किए जागरूकता अभियान और खादी के नकली सामानों के खिलाफ कार्यवाही करना शामिल है। इस वित्त वर्ष में जनवरी तक खादी ने उसके नाम से नकली उत्पाद बनाने बेचने वाली 2172 इकाइयों के खिलाफ कार्यवाही की है।

वहीं केंद्रीय राज्यमंत्री ने लोकसभा में बताया कि खादी को राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान की तरफ से तकनीकी मदद दी गई है। इसके साथ खादी के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और सस्ती दरों पर कर्ज की भी व्यवस्था की गई है। खादी को ट्रेड मार्क को में 17 देशों में रजिस्टर करवा दिया गया है। इन देशों में जर्मनी, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, रूस, चीन, ओमान, कुवैत, सऊदी अरब, मैक्सिको, मालदीव और बहरीन का नाम शामिल है।

मोदी काल में दोगुना बढ़ी बिक्री: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर 2014 को अपने पहले मन की बात कार्यक्रम में लोगों से किसी से मिलने पर फूलों के गुलदस्ते की जगह खादी से बनी कई चीज भेंट करने को कहा था जिसके बाद से खादी की बिक्री में बड़ा उछाल आया है।

2015 के बाद से खादी की बिक्री लगभग दोगुनी हो गई है। हालांकि कोरोना के कारण 2020 में खादी की बिक्री में कुछ गिरावट आई थी लेकिन अब बिक्री ने फिर से महामारी के पहले आंकड़े को पार कर लिया है।