Karvy Scam: प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत कार्रवाई करते हुए कर्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड और इसके अध्यक्ष कोमंदूर पार्थसारथी और अन्य लोगों से जुड़ीं 110 करोड़ रुपए की भूमि, भवन, शेयर, नकदी, विदेशी मुद्रा, आभूषण और चल अचल संपत्तियों की पहचान कर उन्हें जब्त किया है।
इससे पहले ईडी इस मामले में कार्रवाही करते हुए 1984.84 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी। ईडी की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, कर्वी स्टॉक ब्रोकिंग घोटाले में शामिल पार्थसारथी और ग्रुप सीएफओ जी हरि कृष्णा को गिरफ्तार किया था, लेकिन फिलहाल वे जमानत पर हैं।
बता दें, ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच हैदराबाद पुलिस के सेंट्रल क्राइम स्टेशन की एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। यह एफआईआर कर्वी ग्रुप को लोन देने वाले बैंकों के द्वारा दर्ज कराई गई थीं, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कर्वी ग्रुप ने बैंकों में अपने ग्राहकों के 2800 करोड़ के शेयरों को गिरवी रखकर लोन उठाया है और फर्जीवाड़ा किया। 2019 में एनएसई द्वारा की गई जांच के बाद यह घोटाला सामने आया था। वहीं, एनएसई और सेबी की ओर से ग्राहकों की शेयरों को छोड़ने के आदेश के बाद ये लोन एनपीए हो गए थे।
कर्वी घोटाले के बारे में जांच में सामने आया कि कर्वी ग्रुप का सीनियर मैनेजमेंट सीधे तौर पर इस घोटाले से जुड़ा हुआ था। बैंकों से लिए गए पैसे का इस्तेमाल ग्रुप की कंपनियों और रियल एस्टेट में निवेश के लिए किया गया था। इसके साथ ही इस पैसे को अलग- अलग जगह भेजने के लिए फर्जी कंपनियों को भी खोला गया है।
कर्वी के सीनियर मैनेजमेंट पर यह भी आरोप लगा कि उसने लोन के पैसों का इस्तेमाल अपनी कंपनी की सहायक कंपनियों की वैल्यू को बढ़ाने के लिए किया। इसके साथ इन सहायक कंपनियों को इस दौरान बेचने की भी कोशिश की थी। ईडी अब तक 2800 करोड़ रुपए के इस घोटाले में 110 करोड़ रुपए की जब्त संपत्ति को मिलाकर 2095 रुपए की संपत्ति जब्त कर चुका है।