साल 2019 में भारी कर्ज की वजह से जेट एयरवेज की उड़ान सेवाएं बंद हो गई थीं। हालांकि, अब दो साल बाद एक बार फिर जेट एयरवेज उड़ान भरने की तैयारी में है।
समाधान योजना को मंजूरी: दरअसल, जेट एयरवेज दो साल से दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत ऋण समाधान प्रक्रिया से गुजर रही थी। अब राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने जेट एयरवेज के लिए ब्रिटेन के कलरॉक कैपिटल और संयुक्त अरब अमीरात के उद्यमी मुरारी लाल जालान के गठजोड़ द्वारा सौंपी गयी समाधान योजना को मंजूरी दी है। मतलब ये कि कलरॉक कैपिटल और मुरारी लाल जालान के संयुक्त प्रयास से एक बार फिर जेट एयरवेज उड़ान भरने की तैयारी में है।
जेआरडी टाटा ने दिखाई थी झंडी: जेट एयरवेज की पहचान पहली प्राइवेट एयरलाइन के तौर पर है। इस एयरलाइन को नरेश गोयल ने 1993 में शुरू किया था, तब वह ट्रेवल एजेंसी चलाते थे। पहली प्राइवेट एयरलाइन जेट एयरवेज का उद्घाटन जेआरडी टाटा ने किया था। यह घटना साधारण नहीं थी। यही वजह है कि रातोंरात जेट एयरवेज और इसके फाउंडर नरेश गोयल एविएशन सेक्टर के चर्चित ब्रांड बन गए।
कर्ज के जाल में फंसी कंपनी: एयरलाइन सेक्टर में जेट एयरवेज का दबदबा बढ़ता जा रहा था। कंपनी भी अपना विस्तार करना चाहती थी। इसी के तहत 2006 में जेट एयरवेज ने सहारा एयरलाइन को लगभग 2,250 करोड़ में खरीद लिया। इस डील में एयरलाइन के बेड़े में 27 एयरक्राफ्ट और अंतरराष्ट्रीय रूट भी मिल गए लेकिन यहीं से पतन की शुरुआत हुई। साल 2008 में विश्वव्यापी मंदी भी जेट एयरवेज के पतन में अहम भूमिका में रही।
ये फैक्टर भी जिम्मेदार: वहीं, घरेलू विमान कंपनियों का कॉम्पिटिशन शुरू हो चुका था। स्पाइसजेट, इंडिगो, विस्तारा जैसी एयरलाइन कंपनियों के बीच लो-फेयर प्राइस वार छिड़ा था तब जेट एयरवेज का ध्यान इंटरनेशनल मार्केट में विस्तार का था। जेट एयरवेज ने घरेलू मार्केट को गंभीरता से नहीं लिया। बाद में जेट एयरवेज भी लो-फेयर प्राइस के कॉम्पिटिशन में कूद पड़ी, तब तक देर हो चुकी थी।
जेट एयरवेज की आमदनी तो नहीं बढ़ी लेकिन कर्ज में जरूर इजाफा हुआ। इस हालात में जेट एयरवेज की उड़ानें रद्द होने लगीं और कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए भी कंपनी के सामने संकट खड़ा हो गया। हालात ये हो गए कि 17 अप्रैल, 2019 को नकदी संकट से जूझ रही जेट एयरवेज ने परिचालन बंद कर दिया।