कोरोना काल में नौकरियों के अकाल जैसी स्थिति देखने को मिल रही है। यही नहीं अगले कुछ महीनों तक यह संकट जारी रह सकता है। 800 से ज्यादा एंप्लॉयर्स पर किए गए एक सर्वे के मुताबिक आने वाले तीन महीनों में सिर्फ 3 फीसदी कंपनियां ही ऐसी हैं, जो अपने स्टाफ में बढ़ोतरी की प्लानिंग कर रही हैं। मैनपावर ग्रुप एंप्लॉयमेंट आउटलुक की ओर से 813 कंपनियों पर किए गए सर्वे के मुताबिक 2020 की आखिरी तिमाही अक्टूबर से दिसंबर के दौरान कंपनियां भर्तियों को लेकर सतर्क हैं। सर्वे के अनुसार 7 पर्सेंट एंप्लॉयर्स ने सैलरी में इजाफे की उम्मीद जताई है, जबकि तीन फीसदी ने कमी की आशंका व्यक्त की है। वहीं 54 फीसदी एंप्लॉयर्स मानते हैं कि कोई बदलाव नहीं होगा।

सर्वे में कहा गया है, ’15 साल पहले शुरू किए गए इस सर्वे में यह पहली बार है, जब हायरिंग का अनुमान इतना कम दर्ज किया गया है।’ दिलचस्प बात यह है कि सबसे ज्यादा हायरिंग छोटी कंपनियों में हो सकती है। इसके अलावा मिड साइज संस्थानों में थोड़ी अधिक और बड़े संस्थानों में उनसे भी कम नौकरियां निकलने की उम्मीद है। क्षेत्रवार ब्योरे पर नजर डालें तो पश्चिमी और दक्षिणी हिस्से के मुकाबले देश के पूर्वी और उत्तरी क्षेत्र में नौकरियों की स्थिति ज्यादा बेहतर हो सकती है। मैनपावर ग्रुप इंडिया के एमडी संदीप गुलाटी ने कहा कि कंपनियों ने कोरोना संकट के चलते अपनी वर्कफोर्स में कमी की थी, लेकिन अब मौजूदा डिमांड को देखते हुए प्रोडक्टिविटी में सुधार के लिए हायरिंग शुरू हो सकती है।

42 फीसदी कंपनियां भविष्य को लेकर आशंकित: सर्वे में शामिल 44 फीसदी कंपनियों ने कहा है कि अगले 9 महीनों में उन्हें भर्ती के मामले में कोरोना से पहले के दौर की स्थिति वापस लौटने की उम्मीद है। वहीं 42 फीसदी कंपनियां ऐसी हैं, जो भविष्य को लेकर फिलहाल आशंकित हैं और कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं। लॉकडाउन की अवधि के दौरान छुट्टी पर भेजे गए कर्मचारियों को लेकर 42 फीसदी कंपनियों ने कहा है कि वे उन्हें कम वर्किंग आवर्स पर वापस लाने की तैयारी में हैं, जबकि तीन पर्सेंट कंपनियों ने संकेत दिया है कि ऐसे लोगों की नौकरी भी जा सकती है।

इन देशों में सुधर सकते हैं हालात: वैश्विक स्तर पर देखें तो 43 देशों में से 11 ऐसे हैं, जहां दिसंबर 2020 के अंत तक पेरोल में इजाफा हो सकता है। इसके अलावा 16 देश ऐसे भी हैं, जहां सैलरी बढ़ने की बजाय कट सकती है। आने वाले दिनों में ताइवान, अमेरिका, तुर्की, जापान और ग्रीस जैसे देशों में बड़े पैमाने पर हायरिंग ऐक्टिविटी देखने को मिल सकती है, जबकि पनामा, कोस्टा रिका, साउथ अफ्रीका, कोलंबिया और ब्रिटेन में कमजोरी के हालात बने रह सकते हैं।