रिलायंस इंडस्ट्रीज की जियो यूनिवर्सिटी अब नवी मुंबई में अपना कैंपन बना सकती है। करजत में मूल रूप से प्रस्तावित 800 एकड़ की साइट पर पश्चिमी घाट के माथेरान इको-सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) की कवायद के चलते पर्यावरण संबंधी बाधाएं आ सकती हैं। पारिस्थितिकी तंत्र क्षतिग्रस्त नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में निर्माण गतिविधि पर सख्ती है। द इकॉनोमिक टाइम्स के मुताबिक रिलायंस के पास पहले से ही नवी मुंबई के विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) में जमीन है, जहां अब यूनिवर्सिटी बनाए जाने की संभावना है। माथेरान ईएसजेड ने महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में कजरत तहसील में लगभग 70 गांवों को शामिल किया है।

Jio University को जुलाई में अधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति (EEC) द्वारा एक प्रतिष्ठित संस्थान घोषित किया गया था, जिससे विवाद खड़ा हो गया था क्योंकि इसे अभी तक स्थापित किया गया। EEC के अध्यक्ष एन गोपालस्वामी ने बताया कि रिलायंस ने समिति को सूचित किया था कि Jio यूनिवर्सिटी कजरत में बनेगी। उन्होंने यह भी कहा कि ईईसी को स्थान परिवर्तन के बारे में सूचित नहीं किया गया था। भूमि की उपलब्धता और स्थान उन कारकों में से थे जो जियो के पक्ष में थे। ईईसी ने इस आधार पर वेदांत की बोली को खारिज कर दिया था कि उसके विश्वविद्यालय परिसर के लिए प्रस्तावित भूमि मुकदमेबाजी में फंस गई थी।

रिलायंस के प्रवक्ता ने ईटी को एक ईमेल में बताया, “Jio संस्थान का विकास योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहा है और आवश्यकतानुसार अधिकारियों को उचित अपडेट प्रदान किया जा रहा है।” कैंपस की लोकेशन को बदलने की योजना हाल ही में सामने आई है। छह संस्थानों द्वारा प्रगति की पहली समीक्षा करने के लिए 26 सितंबर को आयोजित बैठक में ईईसी को यह सूचित नहीं किया गया था। समीक्षा में जियो यूनिवर्सिटी की प्रस्तुति में कहा गया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी और उनकी टीम ने स्थान पर “बुनियादी ढाँचे और प्राथमिकताओं के लिए ऑनसाइट समीक्षा” की। रिलायंस ने ईईसी को यह भी बताया कि वह अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कैंपस डेवलपमेंट के लिए विभिन्न एजेंसियों की नियुक्ति करेगी और जनवरी से जून 2019 के बीच साइट का डिजाइन और निर्माण शुरू करेगी।