इंफोसिस के सह-संस्थापक और चेयरमैन नंदन नीलकेणि, उनकी पत्नी रोहिणी नीलकेणि और भारतीय मूल के तीन अरबपतियों ने बड़ा फैसला किया है। ये सभी लोग माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल-मैलिंडा गेट्स और अमेरिकी निवेशक वॉरेन बफेट के परोपकारी संगठन में शामिल होने जा रहे हैं। ये सभी परोपकार के कामों में अपनी आधी से ज्यादा संपत्ति दान कर देंगे। इन अरबपति दानवीरों में नीलकेणि दंपति के अलावा अनील और अल्लिसन भूसरी, शमशीर और शबीना वायालिल, बीआर शेट्टी और उनकी पत्नी चंद्रकुमारी रघुराम शेट्टी शामिल हैं। ये सभी उन 14 बड़े दानवीरों में शामिल हैं जिन्होंने पिछले साल इस संघ में शामिल होने का फैसला किया था। अब तक इस संघ में 22 देशों के 183 लोग शामिल हो चुके हैं। ये संघ 2010 में 40 अमेरिकी दानवीरों के संकल्प से शुरू हुआ था।
भगवदगीता का किया उल्लेख: नंदन नीलकेणि इंफोसिस के अलावा ‘एकस्टेप’ के भी सह-संस्थापक हैं। ये एक गैर लाभकारी संस्था है जो पूरे देश में 20 करोड़ से ज्यादा बच्चों को ज्ञान आधारित प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाकर उनकी सीखने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। नंदन की पत्नी रोहिणी नीलकेणि अर्घ्यम की संस्थापक और चेयरपर्सन हैं। ये फाउंडेशन जल संचय और साफ-सफाई के क्षेत्र में काम करता है। ये संगठन पूरे भारत में योजनाओं को पैसे देता है। अपने दानपत्र में नंदन नीलकेणि ने भगवदगीता के श्लोक का जिक्र किया है और लिखा है,”हमें अपने कर्तव्य करने का अधिकार है लेकिन अपने कर्म का फल पाने का अधिकार नहीं है। ये कठिन है कि हम सिर्फ इस डर से कर्महीन बने रहें कि हमें कोई सीधा लाभ नहीं मिलने वाला है। हम हर उस चीज को दे दें जो हमारे पास सर्वश्रेष्ठ है।
जुड़ चुके हैं दुनिया भर के परोपकारी: अपनी शुरूआत के आठवें साल में, दुनिया भर के परोपकारी इस ट्रस्ट के साथ जुड़ चुके हैं। शामिल होने वालों में कनाडा, भारत, यूएई के साथ ही अमेरिका के भी अरबपति शामिल हैं। कई पीढ़ियों तक चलने वाले इस संगठन को बिल-मेलिंडा गेटस और वॉरेन बफेट ने बनाया था। इस संगठन में दुनिया भर के सबसे अमीर दानवीरों को अपनी आधी या फिर ज्यादा संपत्ति अपने जीवित रहते दान करने वालों या फिर अपनी वसीयत में इसका विधान करने वालों को ही शामिल किया जाता है।
वॉरेन बफेट ने किया स्वागत: अपने संबोधन में अमेरिकी अरबपति वॉरेन बफेट ने कहा,”पिछले आठ सालों में, हम उन समर्पित दानवीरों से बेहद प्रभावित हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति का दान स्वेच्छा से करना स्वीकार किया है। इस साल के दानवीरों का समूह भी इसका अपवाद नहीं है। वे भी अपनी संपत्ति का इस्तेमाल दुनिया भर में फैली गैर—बराबरी और अमीर—गरीब के फ़र्क को खत्म करने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। हम उनकी ऊर्जा, उत्साह और रचनात्मकता का स्वागत करते हैं। हम उनसे सीखने के लिए उत्साहित हैं। ये वैश्विक समाज में सकारात्मक बदलाव लाएगा।”