खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति जून में इससे पूर्व महीने के मुकाबले मामूली रूप से बढ़कर 3.18 प्रतिशत पर पहुंच गई। इससे पहले मई में यह सिर्फ 3.05 फीसदी थी। ये पिछले आठ महीने में सबसे ज्यादा है। अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर केंद्र की मोदी सरकार को एकबार फिर बड़ा झटका लगा है। वहीं इसका असर आम आदमी के जेब पर पड़ेगा।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति इस साल मई महीने में 3.05 प्रतिशत तथा जून 2018 में 4.92 प्रतिशत थी। खुदरा मुद्रास्फीति इस साल जनवरी से बढ़ रही है। जून में खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने की वजह से खुदरा महंगाई दर में इजाफा हुआ
सीएसओ के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति जून 2019 में 2.17 प्रतिशत थी जो इससे पूर्व माह में 1.83 प्रतिशत थी। अंडा, मांस और मछली जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की महंगाई दर जून में इससे पूर्व महीने के मुकाबले अधिक रही। हालांकि सब्जियों और फलों के मामले में मुद्रास्फीति की वृद्धि धीमी रही।
एक बार फिर सरकार की खुदरा मुद्रास्फीति को कम करने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। मई में एक तरफ जहां औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार नरम पड़ गई वहीं अब खुदरा मुद्रास्फीति के बढ़ गई। बता दें, रिजर्व बैंक मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में ब्याज दरों पर फैसला करने के दौरान खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर गौर करता है। अगस्त में एक बार फिर बैठक होगी उम्मीद जताई जा रही है कि इसमें इन सभी मसलों पर गौर किया जा सकता है।