Indigo Flight Cancellations: देश की सबसे किफायती एयरलाइन इंडिगो पिछले दो दिनों से अखबारों से लेकर टीवी और डिजिटल मीडिया की सुर्खियों में छाई हुई है। पिछले कुछ दिनों से Indigo द्वारा कैंसिल की जा रहीं फ्लाइट्स के चलते हजारों हवाई यात्री प्रभावित हुए हैं। एयरलाइन की उड़ानों में आई इस रुकावट का सबसे बड़ा कारण है- नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेश (FDTL) के नयमों के चलते क्रू की कमी होना। जी हां, FDTL के उड़ान के नए नियम तय होने के चलते देश की सबसे बड़ी घरेलू पैसेंजर एयरलाइन संकट में है और इसकी सेवाएं अस्त-व्यस्त हो गई हैं।
आपको बता दें कि नए क्रू रेस्ट और ड्यूटी रूल्स का दूसरा और आखिरी चरण को पिछले महीने लागू किया गया था। और इंडियो की तैयारी इसके लिए पूरी नहीं थीं। गौर करने वाली बात है कि बुधवार (3 दिसंबर) को एयरलाइन की सिर्फ 19.7 प्रतिशत उड़ानें ही संचालित हो सकीं। जबकि एक और दो दिसंबर को कंपनी क्रमश: 50 और 35 प्रतिशत फ्लाइट्स ही ऑपरेट कर सकी थी।
इंडिगो की उड़ानों में आई इन बाधाओं के चलते देशभर के अलग-अलग एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी मच गई। सोशल मीडिया पर उड़ानों में हो रही देरी और कैंसिल हो रहीं फ्लाइट्स के लिए इंडिगो के यात्रियों ने जमकर अपनी भड़ास निकाली। इंडिगो के कई ग्राहकों ने शिकायत की इस रुकावट के चलते उन्हें दूसरे कैरियर्स की महंगी फ्लाइट्स लेनी पड़ीं जिससे उनका काफी ज्यादा अतिरिक्त खर्चा हुआ।
अब इंडिगो ने माफी मांगी है और अपने फ्लाइट शेड्यूल में “कैलिब्रेटेड एडजस्टमेंट” शुरू किए हैं। जिनमें कुछ फ्लाइट की रीशेड्यूलिंग और कैंसिलेशन शामिल है ताकि क्रू की उपलब्धता के अनुसार ऑपेरेशंस को स्टेबिलाइज़ यानी स्थिर किया जा सके।
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) भी आगे आया है और एयरलाइन से “मौजूदा हालात तक पहुंचने वाल फैक्ट्स” को पेश करने और इसके समाधान की योजना (mitigation plans) लाने को कहा है।
आपको बता दें कि नए FDTL नियम सभी घरेलू एयरलाइन पर लागू होते हैं। लेकिन अब सवाल है कि आखिर IndiGo इससे सबसे ज्यादा प्रभावित क्यों हुई? इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इस सवाल का जवाब कई सारी चीजों में छिपा है। इसमें इंडिगो का बड़े स्तर पर संचालन और हाई-फ्रीक्वेंसी नेटवर्क, देर रात और तड़के सुबह वाली उड़ानों की बड़ी संख्या और हाई एयरक्राफ्ट के इसके मॉडल व क्रू का इस्तेमाल शामिल है।
इसके अलावा, अन्य भारतीय एयरलाइंस इस समय कई कारणों से lower-than-optimal एयरक्राफ्ट यूटिलाइज़ेशन लेवल पर काम कर रही हैं और इसका कारण नए विमानों की डिलीवरी में देरी और रीफ़ट के लिए ग्राउंड किए गए विमान हैं। इससे उनके पास क्रू रोस्टर को फ्लैक्सिबल करने का विकल्प है क्योंकि उनके बेड़े के आकार की तुलना में ज्यादा पायलट उपलब्ध रहते हैं।
नए FDTL नियम और IndiGo पर असर
आपको बता दें कि FDTL के नए नियमों के तहत पायलट के लिए सप्ताह में रेस्ट पीरियड को 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे किया गया है और रात में होने वाली लैंडिग्स को 6 से घटाकर दो पर सीमित कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, इससे इंडिगो के क्रू रोस्टर पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है। नए नियमों में रात के घंटों (night hours) को भी एक घंटे तक बढ़ा दिया है और इससे एयरलाइन के संचालन पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। नए नियमों का उद्देश्य पायलटक की थकान (fatigue) से बेहतर तरीके से निपटना है जो विमानन सुरक्षा (aviation safety) में एक बड़ा रिस्क माना जाता है।
गौर करने वाली बात है कि इन नियमों को जून 2024 में लागू होना था। लेकिन IndiGo और दूसरी एयरलाइंस के विरोध के चलते इन्हें लागू करने में देरी हुई। एयरलाइन कंपनियों का पहला तर्क यह था कि नए नियमों से ज्यादा क्रू की जरूरत होगी और वे आने वाले समय में धीरे-धीरे स्टेप-बाय-स्टेप तरीके से नियमों को लागू करना चाहते थे। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट से मिले एक आदेश के बाद DGCA ने इसी साल इन नियमों को लागू कर दिया। इन नियमों को जुलाई और नवंबर में दो चरणों में रोलआउट किया गया।
पहले फेज में इंडिगो ने क्रू के लिए साप्ताहिक आराम की अवधि बढ़ाने जैसे बदलावों को बिना किसी बड़े असर के संभाल लिया था। लेकिन दूसरे फेज में, जिसमें ‘रेड आई’ उड़ानों (देर रात व तड़के सुबह की फ्लाइट्स) के लिए क्रू के यूटिलाइज़ेशन लेवल में कटौती की जरूरत है। इससे इंडिगो को अन्य एयरलाइंस की तुलना में कहीं ज्यादा नुकसान हुआ है। नए FDTL नियमों के तहत, फ्लाइट क्रू के लिए परमिटिड नाइट लैंडिंग की लिमिट पहले के मुकाबले अब छह से घटाकर अब केवल दो कर दी गई है।
लो-कॉस्ट कैरियर मॉडल की सबसे बड़ी चैम्पियन, Indigo के एयरक्राफ्ट और क्रू का यूटिलाइज़ेशन लेवल अन्य भारतीय एयरलाइन कंपनियों में कई ज्यादा है। जैसा कि हमने बताया कि एयरलाइन दूसरी कंपनियों की तुलना में रात के समय में ज्यादा उड़ानें संचालित करती है। इसके फ्लीट में 400 से ज्यादा एयरक्राफ्ट शामिल हैं। इंडिगो 2300 से ज्यादा फ्लाइट्स एक दिन में ऑपरेट करती है। कुल 90 घरेलू और 45 अंतरर्राष्टीय डेस्टिनेशन को कनेक्ट करती है। और सबसे बड़ी बात है कि एकदम कम संसाधनों और स्टाफ मॉडल के साथ कंपनी अभी तक संचालन कर रही थी।
IndiGo के लिए 10 प्रतिशत फ्लाइट रद्द होने का मतलब होगा 230 से ज्यादा फ्लाइट का कैंसिल होना। वहीं बात करें देश के सबसे बड़े एयरलाइन ग्रुप की तो Air India अभी इंडिगो की तुलना में आधे से भी कम उड़ानें ऑपरेट करती है।
एयरबस A320 जैसे नैरो-बॉडी एयरक्राफ्ट जो इंडिगो के बेड़े का बड़ा हिस्सा हैं। और आमतौर पर एक दिन में बार उड़ान भरते हैं। इसका सीधा मतलब है कि अगर एक या दो फ्लाइट लेट और कैंसिल होती हैं तो बाकी बहुत सारी फ्लाइट्स पर इसका असर पड़ता है और पूरा सिस्टम डगमगा जाता है। स्थिति तब और बिगड़ जाती है जब देरी के कारण फ्लाइट क्रू अपने ड्यूटी आवर्स की लिमिट तक पहुंच जाते हैं और एयरलाइन को तुरंत नया क्रू ढूंढना पड़ता है।
समस्या को दूर करने के लिए क्या किया जा रहा?
DGCA के मुताबिक, IndiGo ने नियामक को जानकरी दी थी कि नवंबर में कंपनी ने 1232 फ्लाइट कैंसिल की थीं जिनमें से 755 को क्रू और FDTL से जुड़े नियमों के चलते रद्द करना पड़ा। वहीं 258 फ्लाइट्स को एयरस्पेस और एयरपोर्ट प्रतिबंधों के चलते, 92 उड़ानो को एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम फेल होने की घटना और 127 को अन्य वजहों से रद्द किया गया था। नवंबर में एयरलाइन का ऑन-टाइन परफॉर्मेंस (OTP) भी सबसे खराब 67.7 प्रतिशत रहा जो अक्टूबर में 84.1 प्रतिशत था। दिसंबर में बड़े स्तर पर हुई रुकावटों के चलते IndiGo का OTP पूरी तरह से ढह गया है। इंडिगो को लंबे समय से देश की सबसे समय की पाबंद एयरलाइन माना जाता है।
बुधवार शाम एक बयान में एयरलाइन ने कहा था कि कई “अप्रत्याशित परिचालन चुनौतियों” ने उसकी उड़ान सेवाओं को बाधित किया है। एयरलाइन के अनुसार, इनमें हल्की तकनीकी खामियां, सर्दियों से जुड़े शेड्यूल बदलाव, प्रतिकूल मौसम परिस्थितियां, एविएशन सिस्टम में बढ़ती भीड़ और नए FDTL नियमों का पूरी तरह से लागू होना शामिल हैं।
DGCA के अनुसार, इंडिगो FDTL स्टैंडर्ड का पालन करते हुए क्रू प्लानिंग और रोस्टरिंग को मजबूत कर रही है। एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) और हवाई अड्डों के साथ कॉर्डिनेशन बढ़ा रही है ताकि क्षमता संबंधी चुनौतियों को संभाला जा सके। और अपने टर्नअराउंड व रुकावट से जुड़े मैनेजमेंट प्रोसेस को बेहतर कर रही है।
पायलट समूहों ने इंडिगो को ठहराया जिम्मेदार
पायलट एसोसिएशंस का दावा है कि पर्याप्त समय और नोटिस मिलने के बावजूद एयरलाइन ने नए FDTL नियमों के लिए तैयारी नहीं की। Airline Pilots’ Association of India (ALPA) ने कहा कि उड़ानों में हुई रुकावट, बड़ी एयरलाइंस द्वारा सक्रिय संसाधन योजना (proactive resource planning) में नाकामी को दिखाते हैं। और उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है – DGCA पर नए नियमों को कमजोर करने का दबाव डाला जा रहा हो।
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने कहा कि यह बाधा सीधेतौर पर इंडिगो की “ सभी डिपार्टमेंट्स में लंबे समय से अपनाई गई असामान्य लीन मैनपावर रणनीति खासतौर पर असामान्य लीन मैनपावर” का परिणाम है। इसने यह भी दावा किया कि इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं कि उड़ानों की देरी और कैंसिल होने की घटनाओं का इस्तेमाल, कभी-कभी नियम एयरलाइन के हिसाब से न होने पर रेगुलेटर्स पर दबाव डालने (arm-twist) के लिए किया जा सकता है।
FIP ने एक बयान में कहा, “पूरी तरह से FDTL लागू होने से पहले दो साल की तैयारी का समय होने के बावजूद, एयरलाइन ने अजीब तरह से भर्ती पर रोक लगा दी, गैर-छेड़छाड़ (non-poaching) समझौते किए, पायलट वेतन पर रोक रखी जैसे गठजोड़ (cartel-like) व्यवहार किया, और अन्य छोटी सोच वाले योजना अभ्यास दिखाए।”
इस समूह ने यह भी दावा किया कि नए FDTL नियमों के पहले चरण के 1 जुलाई को लागू होने के बाद, इंडिगो ने पायलट की छुट्टियों की कोटा घटा दी, और दूसरे चरण के लागू होने के बाद, पायलट की छुट्टियाँ वापस खरीदने की कोशिश की।
एफआईपी ने एक बयान में कहा, “पूर्ण एफडीटीएल कार्यान्वयन से पहले दो साल की प्रारंभिक खिड़की के बावजूद, एयरलाइन ने बेवजह भर्ती पर रोक लगा दी, कार्टेल जैसे व्यवहार के जरिए पायलट पे फ्रीज बनाए रखा और दूसरी अदूरदर्शी प्लानिंग प्रैक्टिस का प्रदर्शन किया।”
इस समूह ने यह भी दावा किया कि नए FDTL नियमों के पहले फेज के 1 जुलाई को लागू होने के बाद, इंडिगो ने पायलट की छुट्टियों का कोटा घटा दिया और दूसरे फेज के लागू होने के बाद, पायलट की छुट्टियां वापस बायबैक करने कोशिश की। FIP के अनुसार, इन उपायों ने एयरलाइन में पायलट और कर्मचारियों के मनोबल को और नुकसान पहुँचाया, “विशेषकर एक ऐसे साल में जब एयरलाइन के अधिकारी रिकॉर्ड वेतन वृद्धि या करीब 100% से ज्यादा हासिल कर सके जबकिरिटेंशन और कार्यस्थल सुधार में निवेश करने की जगह पायलट माइग्रेशन को दोषी ठहराया गया।”
दोनों पायलट संघों ने DGCA से यह भी आग्रह किया कि मौसमी फ्लाइट शेड्यूल केवल तब ही मंज़ूर किए जाएं जब एयरलाइंस यह साबित करें कि उनके पास नए FDTL नियमों के तहत पर्याप्त पायलट मौजूद हैं बजाय इसके कि वे हिस्टॉरिकल स्लॉट यूजेज और एयरलाइंस द्वारा प्रस्तावित शेड्यूल पर निर्भर रहें।
FIP ने कहा, “अगर इंडिगो अपनी खुद की टालने योग्य स्टाफ़िंग कमी के कारण यात्रियों को वादों के अनुसार सर्विसेज ऑफर करने में लगातार असफल रहता है तो FIP DGCA से आग्रह करता है कि वे स्लॉट का पुनर्मूल्यांकन (re-evaluate) और दोबारा आवंटन करें और उन एयरलाइंस जैसे Air India, Akasa Air और अन्य को दें, जिनके पास इन्हें पीक हॉलीडे और फॉग सीज़न के दौरान बिना रुकावट संचालित करने की क्षमता है।”
