कोरोना संकट के चलते भारतीयों ने अपनी खर्च करने की आदतों में बड़ा बदलाव किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर उपभोक्ता अधिक खर्च करने से बच रहे हैं औऱ सिर्फ जरूरी रकम ही निकाल रहे हैं। कंसल्टिंग कंपनी केपीएमजी की ओर से किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है। सर्वे में शामिल 78 पर्सेंट लोगों ने कहा कि उन्होंने अपने खर्च में कटौती की है। केपीएमजी इंडिया की रिपोर्ट ‘टाइम टू ओपन माई वॉलेट और नॉट?’ शीर्षक से पब्लिश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों के उपभोक्ता पहली श्रेणी के शहरों की तुलना में अपनी खर्च करने की आदत को लेकर दोगुना आशान्वित हैं।

सर्वे में एक पॉजिटिव तथ्य यह उभरकर सामने आया है कि आधे से ज्यादा लोगों ने माना है कि कोरोना का असर लंबे वक्त तक नहीं रहगेा। 51 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कोविड-19 का प्रभाव अधिक समय तक नहीं रहेगा और चीजें जल्द सामान्य हो जाएंगी। केपीएमजी इंडिया के भागीदार और प्रमुख (उपभोक्ता बाजार और इंटरनेट कारोबार) हर्ष राजदान ने कहा, ‘हमारे अध्ययन से संकेत मिलता है कि दूसरी श्रेणी के शहरों में 22 प्रतिशत उपभोक्ता और तीसरी श्रेणी के शहरों में 30 प्रतिशत उपभोक्ता मानते हैं कि या तो खर्च में बढ़ोतरी होगी या यह कोविड-19 के पूर्व के स्तर पर रहेगा। ऐसे में खुदरा कंपनियों को इन शहरों में अपने विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’

सर्वे में शामिल 49 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अगले तीन माह के दौरान विभिन्न श्रेणियों में 5,000 रुपये तक खर्च करेंगे। सर्वे में शामिल 78 प्रतिशत लोगों का कहना था कि उन्होंने अपने खर्च में कटौती की है। दूसरी और तीसरी श्रेणी के उपभोक्ता पहली श्रेणी के शहरों की तुलना में 1.9 गुना अधिक सकारात्मक हैं।

इस रिपोर्ट के आधार पर यह माना जा सकता है कि कोरोना के चलते मेट्रो सिटीज के ग्राहक ज्यादा आशंकित हैं और उन्होंने अपने खर्च में कटौती की है। इसकी एक वजह यह भी है कि ज्यादातर नुकसान कॉरपोरेट सेक्टर में हुआ है और इसके चलते नौकरियां गई हैं या फिर बड़े पैमाने पर सैलरी में कटौती हुई है। इसलिए मेट्रो शहरों में खर्च के पैटर्न में बदलाव दिख रहा है।