महिलाओं के लिए खुशखबरी है कि अब वह बिना किसी भय के ट्रेन में अकेले सफर कर सकती हैं। अब आप सोच रहे होंगे कैसे? दरअसल, ट्रेन में अकेले सफर करने वाली महिलाओं को रेलवे पहली अप्रैल से अलग बर्थ मुहैया कराएगा, जिससे ट्रेन के सफर में महिलाओं से बढ़ती छेड़छाड़ रूक जाएगी।
सूत्रों की मानें तो अब अकेली सफर करने वाली 6 महिलाओं का ग्रुप बनाया जाएगा। महिलाओं की इस 6 वाली ग्रुप को आरक्षित बोगी मे सीट दी जाएगी जहां वह आराम से सफर कर सकेंगी। यही नहीं, महिलाओं की इस बर्थ पर किसी भी पुरुष यात्रियों को एंट्री नहीं दी जाएगी।
रेलवे ने ट्रेनों के स्लीपर डिब्बों में वरिष्ठ नागरिकों और गर्भवती महिलाओं के लिए निचली सीटों का कोटा बढ़ाने का फैसला किया है।
रेलवे ने एक बयान में कहा कि प्रति डिब्बे दो निचली सीटों का कोटा बढ़ाकर चार किया जाएगा। बयान में कहा गया है कि थर्ड क्लास एसी और सेकेंड क्लास एसी डिब्बों में कोटे में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
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मौजूदा कंप्यूटराइज्ड यात्री आरक्षण प्रणाली में निचली सीटें स्वाभाविक रूप से 60 साल से ज्यादा उम्र वाले पुरूष यात्रियों और 45 साल से ज्यादा आयु की महिला यात्रियों को आवंटित करने का प्रावधान है, बशर्ते टिकट बुक किए जाने के समय सीटें उपलब्ध हों।
बयान के अनुसार टिकट जांच करने वाले स्टाफ को निर्देश दिया गया है कि वे उन वरिष्ठ नागरिकों और शारीरिक रूप से अशक्त लोगों की मदद करें जिन्हें बीच की या उपर की सीटें आवंटित की गई हैं। ट्रेनों में नीचे की बर्थ खाली होने पर ऐसी सीटें पहले इन यात्रियों को दी जाएं।