Indian Railway fare increase: रेलवे ने इस साल की शुरुआत में यात्री किराये में इजाफा करते हुए प्रति किलोमीटर 1 पैसे से लेकर 4 पैसे तक बढ़ाए थे। भले ही रेलवे के इस इजाफे से लंबी दूरी के यात्रियों को झटका लगा हो, लेकिन रेल मंत्रालय का कहना है कि यह उसके घाटे के हिसाब से ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही है। रेल मंत्रालय का कहना है कि इस इजाफे से उसके साल में होने वाले 55,000 करोड़ रुपये के घाटे की महज 5 फीसदी भरपाई ही हो सकेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि यात्रियों पर बढ़े हुए किराये का बोझ डालने से रेलवे को साल में 2,750 करोड़ रुपये के करीब कमाई होगी।

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि रेलवे का घाटा लगातार बढ़ रहा है। आंकड़ों का हवाला देते हुए रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे को 2004 में यात्री सेवाओं में 8,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 55,000 करोड़ रुपये हो गया है।

रेल मंत्री ने कहा कि गैर-शहरी ट्रेन सेवाओं में सिर्फ एक पैसा प्रति किलोमीटर किराया बढ़ाया गया है। इसके अलावा मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के गैर-एसी और एसी डिब्बों के किराये में क्रमश: दो पैसे और 4 पैसे का इजाफा किया गया है। रेल मंत्री ने कहा कि यह इजाफा भी रेलवे के घाटे को देखते हुए ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। उन्होंने कहा कि बीते कुछ सालों में रेलवे ने जिस तरह से यात्री सुविधाओं में इजाफा किया है और नेटवर्क का विस्तार हुआ है, उसमें बड़ी लागत लगी है।

उन्होंने कहा कि रेलवे को अपने परिचालन के लिए आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह इजाफा बेहद मामूली कदम है। पीयूष गोयल ने कहा कि मोदी सरकार के 5.5 सालों के कार्यकाल में रेलवे की सेवाओं और सुविधाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। रेलवे में सुधार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सफाई, नियमितता से लेकर सुरक्षा तक पर काफी काम किया गया है। इसके अलावा पुराने उपकरणों में बदलाव भी किया गया है। उन्होंने कहा कि इन सभी कामों के चलते रेलवे पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ा है।