भारतीय अर्थव्यवस्था को जहां कई बार ‘ग्लोबल इकोनमी में चमकता सितारा’ बताया जाता है, रिजर्व बैंक के गवर्नर की राय कुछ अलग है। राजन से जब उनकी राय मांगी गई तो उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि हमें अभी भी वो जगह हासिल करनी है, जहां हम संतोष व्यक्त कर सकें। हमारे यहां एक कहावत है-अंधों के बीच काना राजा होता है। हम कुछ वैसे ही हैं।”
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड में चीफ इकोनॉमिस्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर रहे राजन ने वॉशिंगटन में यह बयान दिया। वे यहां वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ की बैठक और जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नरों की बैठक के लिए आए हैं। राजन को भारतीय व वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में खुलकर अपनी राय रखने के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि भारत में ‘बहुत सी अच्छी बातें हुई हैं’ लेकिन ‘कुछ काम अभी किए जाने हैं।’ साक्षात्कार में उन्होंने चालू खाते व राजकोषीय घाटे जैसे मोर्चे पर उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मु्द्रास्फीति 11 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत से नीचे आ गई है जिससे ब्याज दरों में गिरावट की गुंजाइश बनी है। उन्होंने कहा,‘ निसंदेह रूप से, ढांचागत सुधार चल रहे हैं। सरकार नयी दिवाला संहिता लाने की प्रक्रिया में है। वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) आना है। लेकिन अनेक उत्साहजनक चीजें पहले ही घटित हो रही हैं।’ राजन ने देश में किन्हीं भी दो बैंक खातों में मोबाइल के जरिए धन स्थानांतरण के लिए उस नये प्लेटफार्म का जिक्र किया जिसकी शुरुआत उन्होंने पिछले सप्ताह की थी।