Merger of Banks: देश के 10 सरकारी बैंक विलय के बाद 1 अप्रैल से 4 बैंकों में तब्दील हो जाएंगे। इनमें से एक इलाहाबाद बैंक और इंडियन बैंक के विलय से तैयार होगा। फिलहाल दोनों ही बैंकों की सेवाओं, नीतियों और प्रोडक्ट्स में तालमेल पर काम चल रहा है। इस काम के पूरा होते ही 1 अप्रैल से दोनों बैंकों के विलय से नया बैंक अस्तित्व में आ जाएगा। आइए जानते हैं, दोनों बैंकों के विलय के बाद क्या बदल जाएगा…
दोनों बैंकों के विलय के बाद नए संस्थान का कारोबार आने वाले दो से तीन सालों में 10 लाख करोड़ रुपये का होगा। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले इलाहाबाद बैंक के एक सूत्र ने बताया, ‘विलय के बाद तैयार नए बैंक के तौर पर हमारी योजना देश भर में 10,000 शाखाएं खोलने की है। इसके अलावा आने वाले दो से तीन वर्षों में कारोबार को 10 लाख करोड़ रुपये तक ले जाने की योजना है। हम इसे लेकर बेहद सकारात्मक हैं।’
दोनों के विलय से बनेगा 7वां सबसे बड़ा बैंक: चेन्नै स्थित इंडियन बैंक और कोलकाता सें संचालित इलाहाबाद बैंक विलय के बाद देश के बैंकिंग में सेक्टर में कैपिटलाइजेशन के लिहाज से 7वें सबसे बड़े बैंक होंगे। विलय की इस प्रक्रिया में इंडियन बैंक को एंकर बैंक यानी बड़ी प्रॉपर्टी माना जा रहा है। बता दें कि मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के आंकड़ों के हिसाब से दोनों बैंकों के कारोबार को मिला लें तो यह 8.44 लाख करोड़ रुपये है। दोनों की देश भर में 6,062 शाखाएं हैं।
इंडियन बैंक का है 4.5 लाख करोड़ का बिजनेस: 31 दिसंबर, 2019 के डेटा के मुताबिक इंडियन बैंक का कारोबार 4.5 लाख करोड़ रुपये का है और देश भर में 2,887 शाखाएं हैं। इसके अलावा इलाहाबाद बैंक के काराबोर की बात की जाए तो फिर यह 3.94 लाख करोड़ रुपये है और 3,175 शाखाएं हैं।
दोनों बैंकों की शाखाएं चलती रहेंगी: एक सूत्र ने बताया कि दोनों बैंकों के विलय में एक बड़ा लाभ यह है कि किसी की भी शाखाएं बंद नहीं की जाएंगी। सिर्फ वहीं पर शाखाओं को बंद किया जाएगा, जहां दोनों बैंकों की शाखाएं एकदम पास में ही स्थित हैं। सूत्र ने कहा कि दोनों बैंक 1 अप्रैल, 2020 तक विलय के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में अभी आधिकारिक सूचना जारी होना बाकी है।