देश भले ही इस वक्त डिजिटल इंडिया की राह पर आगे बढ़ रहा हो, मगर डिजिटल बैंकिंग से जुड़े ट्राजैक्शन के दौरान सबसे अधिक धोखाधड़ी भारतीयों के साथ ही होती है। यह बात हाल ही में पेमेंट कंपनी फिडेलिटी नेशनल इन्फॉर्मेशन सर्विसेज (एफआईएस) की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। संगठन ने इसके लिए कई देशों में सर्वे किया था, जिसके बाद यह रिपोर्ट जारी की है। एफआईएस ने पाया कि पिछले साल 18 फीसदी भारतीय उपभोक्ता डिजिटल बैंकिंग के दौरान जालसाजी का शिकार हुए। सर्वे में यह आंकड़ा बाकी देशों की तुलना में सबसे अधिक था।
जालसाजी के शिकार हुए उपभोक्ताओं में सबसे अधिक 27-37 आयु के लोग थे। जानकारों के अनुसार, डिजिटल बैंकिंग ऐप्लीकेशंस पर इसी उम्र के लोग सबसे अधिक सक्रिय रहते हैं। इस आयु वर्ग में हर चार में से एक शख्स जालसाजी का शिकार पाया गया।
वहीं, विदेशों में डिजिटल बैंकिंग संबंधी धोखाधड़ी के मामले भारत की तुलना में कम देखने को मिलते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी में महज छह फीसदी और यूनाइटेड किंगडम में आठ फीसदी लोग बैंकिंग से जुड़ी जालसाजी का शिकार हुए। एफआईएस की यह रिपोर्ट एक और मसले पर भी ध्यान खींचती है। वह है- बैकों द्वारा उपभोक्ताओं की पहचान करना। तकरीबन 40 फीसदी लोगों ने सर्वे में बताया कि वे अपने बैंक से इस मामले में संतुष्ट नहीं हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उम्रदराज लोग भी डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन बैंकिंग का सहारा ले रहे हैं। 53 साल और उससे अधिक आयु के उपभोक्ता बैंक सेवाओं के लिए लैपटॉप और स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। वह इसे बैंक जाने से बेहतर विकल्प मानते हैं।
रिपोर्ट जारी किए जाने पर एफआईएस (भारत) के प्रबंधकीय निदेशक रामस्वामी वेंकटचलम ने बताया कि यह आंकड़े बताते हैं कि डिजिटल बैंकिंग ने किस तरह पैर पसारे हैं, मगर यह बैंकों को यह भी संकेत देती है कि उन्हें उपभोक्ताओं को संतुष्ट करने की दिशा में अभी और काम करना होगा।