अधिक सतत विकास हासिल करने के लिए मजबूत भागीदारी स्थापित करने पर जोर देते हुए भारत में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने गुरुवार (11 अगस्त) को कहा कि भारत के महत्वाकांक्षी विकास लक्ष्यों से ‘संसाधनों में कमी तथा वैश्विक तापमान बढ़ सकता है।’ वर्मा यहां इंडिया एनर्जी एक्सेस समिट को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘हम सभी के लिए चुनौती स्पष्ट है (अधिक सतत भविष्य की राह निकालना। दृष्टिकोण भी स्पष्ट है) भारत व अमेरिका को मजबूत भागीदारी स्थापित करनी होगी और विकास का नया व अधिक सतत रास्ता निकालने के लिए अग्रणी भूमिका निभानी होगी।’

वर्मा ने कहा, ‘बिजली के बिना जरूरी रोजगार, घर व कारखाने लगाना लगभग असंभव है। अनुमानों के अनुसार अगर भारत अपने महत्वाकांक्षी विकास लक्ष्यों में सफल हो जाता है तो उसकी ऊर्जा खपत आने वाले दशकों में तिगुनी या चौगुनी भी हो सकती है।’ भारत की ऊर्जा खपत बीते 15 साल में दोगुनी हुई है। वर्मा की राय में इस वृद्धि से भारत में लाखों लोग गरीबी रेखा से निकलकर मध्यम वर्ग की श्रेणी में आ सकते हैं लेकिन इससे ‘भारत में संसाधनों की कमी में तेजी आ सकती है, प्रदूषण बढ़ सकता है और वैश्विक तापमान बढ़ सकता है।’ इस अवसर पर उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा में प्रौद्योगिकी संबंधी उपलब्धियों की बात भी की।