देश के दिग्गज उद्योगपति और इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने एक ऐसा बयान दे दिया, जिससे नई बहस छिड़ गई। नारायण मूर्ति ने कहा कि देश की कार्य उत्पादकता दुनिया में सबसे कम है और इसे बढ़ाने के लिए हर युवा को करीब 12 घंटे रोजाना काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को 70 घंटे हर हफ्ते काम करना चाहिए। नारायण मूर्ति के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोग बंटे हुए नजर आए। कइयों ने उनके बयान का समर्थन किया तो कई ने जमकर विरोध किया। इस बीच यह जानना जरूरी है कि भारत के अलावा अन्य देशों में कितने घंटे काम करना होता है।

भारत में कई संस्थानों में हर हफ्ते 5 दिन काम हो रहा है। देश में लोग रोजाना (Working Day) 8 से 9 घंटे काम करते हैं। इस हिसाब से देखें तो भारत में लोग औसतन 40 से 45 घंटे हर सप्ताह काम करते हैं।

यूरोपीय देश फ्रांस में 36 घंटे का वर्किंग वीक है। ऐसे में देखा जाए तो फ्रांस में अगर लोग 5 दिन काम करते हैं हफ्ते में, तो उन्हें रोजाना करीब 7 घंटे काम करना होता है। वहीं ऑस्ट्रेलिया में 38 घंटे का वर्किंग वीक होता है। ऐसे में देखा जाए तो ऑस्ट्रेलिया में रोजाना लोगों को करीब साढ़े 7 घंटे काम करना होता है।

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में 5 डे वर्किंग कल्चर है। वहां पर लोग औसतन 40 घंटे हर हफ्ते काम करते हैं। यानी अगर प्रतिदिन देखा जाए तो लोग 8 घंटे ऑफिस में काम करते हैं। जबकि नीदरलैंड में 29 घंटे हर हफ्ते का वर्किंग कल्चर है। यानी नीदरलैंड में लोग 6 घंटे रोजाना काम करते हैं। ब्रिटेन में 48 घंटे का वर्क कल्चर है। यानी ब्रिटेन में लोग रोज साढ़े 9 घंटे काम करते हैं। यूरोपीय देशों में देखा जाए तो ब्रिटेन में औसतन लोग सबसे अधिक देर तक काम करते हैं।

नारायण मूर्ति ने 70 घंटे काम की वकालत करते हुए कहा, “मौजूदा समय में भारत की वर्क प्रोडक्टिविटी दुनिया में सबसे कम है, जबकि हमारा सबसे ज्यादा मुकाबला चीन से है और इसलिए युवाओं को अतिरिक्त घंटे काम करना होगा। ऐसा ही द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान और जर्मनी ने किया था।”