Ban on Broken Rice Export News: केंद्र की मोदी सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने कहा कि चावल की खेप को 15 सितंबर तक भेजने की अनुमति दी जाएगी यदि आदेश से पहले लोडिंग शुरू हो गई है और जहां शिपिंग बिल फाइल किया जा चुका है और जहाज अपने गंतव्य पर पहुंच गए हैं।

अधिसूचना में कहा गया है कि यदि टूटे हुई चावल की खेप अधिसूचना से पहले कस्टम को सौंप दी गई है और सिस्टम के साथ पंजीकृत है, ऐसी स्थिति में इसे प्रतिबंध से मुक्त किया जाएगा। फ़ूड कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (FCI) के पास खाद्यान्न स्टॉक पिछले पांच वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है। 16 अगस्त को केंद्रीय पूल में चावल और गेहूं का स्टॉक मिलाकर 52.3 मिलियन टन था।

मौजूदा खरीफ सीजन में धान की फसल के रकबे में गिरावट के बीच घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने गुरुवार को गैर-बासमती चावल को छोड़कर गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया था। भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। वैश्विक चावल उत्पादन में भारत की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगस्त के अंत तक दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश सामान्य से 6% अधिक थी और जुलाई से अगस्त तक खरीफ रोपण के मौसम के दौरान वर्षा पर्याप्त थी। लेकिन बारिश का डिस्ट्रीब्यूशन पिछले एक दशक में सबसे कमजोर रहा है।

सब्जियों की बेहतर आपूर्ति और खाद्य तेल की कीमतों में नरमी के बीच consumer price index (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) जुलाई में 6.71% पर थी, जो पिछले महीने 7.01 फीसदी पर आ गई। हालांकि मॉडरेशन के बावजूद मुद्रास्फीति इस वर्ष सभी महीनों में 6 फीसदी से अधिक बनी रही है।

भारत में किसानों ने इस खरीफ सीजन में कम धान की बुवाई की है। खरीफ की फसलें ज्यादातर जून और जुलाई के दौरान बोई जाती हैं और उपज अक्टूबर और नवंबर के दौरान काटी जाती है। बुवाई क्षेत्र में गिरावट का प्राथमिक कारण जून के महीने में मानसून की धीमी प्रगति माना जा रहा है।