राजस्व में कमी को देखते हुए केंद्र सरकार जीएसटी के स्लैब में बदलाव कर सकती है। जीएसटी स्लैब में बदलाव के कारण महंगाई से त्रस्त जनता पर एक और वार हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जीएसटी कलेक्शन में कमी को देखते हुए जीएसटी काउंसिल कर ढांचे में बदलाव पर विचार कर रही है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार इस बदलाव के तहत 5 फीसदी स्लैब को बढ़ाकर 9 से 10 फीसदी तक किया जा सकता है। इससे पहले खबर थी कि जीएसटी काउंसिल 5 फीसदी वाले स्लैब को बढ़ाकर 6 फीसदी करने पर विचार कर रही है। जानकारों के अनुसार स्लैब में बदलाव से सरकार को हर महीने 1000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकेगा।

जीएसटी लागू होने के लगभग ढाई साल बाद यह पहली बार है कि इतने बड़े पैमाने पर बदलाव होगा। वर्तमान में जीएसटी में चार 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी वाले स्लैब हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जीएसटी कलेक्शन में 5 फीसदी स्लैब सिर्फ करीब 5 प्रतिशत ही योगदान देता है। इस स्लैब में खाद्य पदार्थ, फुटवियर और बेसिक कपड़े जैसी आवश्यक वस्तुएं शामिल है।

वहीं, सरकार को करीब 60 फीसदी राजस्व 18 फीसदी कर दायरे में आने वाली वस्तुओं से मिलता है। केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ जीएसटी काउंसिल की बैठक 18 दिसंबर को होनी है। बैठक में टैक्स स्ट्रक्चर, क्षतिपूर्ति उपकर दर और छूट वाले सामान समेत राजस्व संग्रह बढ़ाने के मुद्दे पर चर्चा होगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जीएसटी काउंसिल सचिवालय ने अगली बैठक के लिए सभी राज्यों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘5 फीसदी के स्लैब को 6 फीसदी करने के पीछे तर्क यह भी है कि इससे राज्य और केंद्र को 3-3 फीसदी जीएसटी प्राप्त होगा।

कुछ राज्यों का तर्क है कि इससे कर की दर में 20 फीसदी का इजाफा हो जाएगा। लेकिन मूल्य के लिहाज से यह ज्यादा नहीं है। समिति सिगरेट और एयरेटेड पेय पर भी क्षतिपूर्ति सेस दर में इजाफा करने पर विचार कर रही है। राज्यों ने जो उपाय सुझाए हैं, उनमें महाराष्ट्र ने सोना पर जीएसटी दर 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही राज्य ने उन करदाताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं देने की सलाह दी है, जिन्होंने दो लगातार महीनों से रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं।