अभी तक सभी ने सिर्फ सरकारी बैंकों के कर्मचारियों द्वारा गड़बड़ किए जाने की खबरें सुनी होंगी। लेकिन प्राइवेट बैंकों के कर्चारी भी पीछे नहीं है। देश की अग्रणी आईसीआईसीआई बैंक इस मामले में टॉप पर है। बैंक के कर्चारियों के खिलाफ बीते तीन साल में फ्रॉड करने को लेकर सबसे ज्यादा कार्यवाई हुई हैं। तीन साल में 60 पीएसयू बैंक और प्राइवेट बैंक के 13,949 ऑफिशियल्स के खिलाफ एक्शन लिया गया है।

वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने राज्य सभा में गुरुवार को एक सवाल के जवाब में लिखित तौर पर जानकारी दी कि, फ्रॉड करने में सबसे ज्यादा कर्मचारी आईसीआईसीआई बैंक के हैं। 2,236 मामले तो सिर्फ आईसीआईसीआई बैंक के कर्चारियों के खिलाफ हैं। बैंक के कर्मचारियों के खिलाफ 2015, 2016 और 2017 में 600 से 900 मामले सामने आए। जिन पर एक्शन लिया गया। हालांकि इन तीन साल की अवधि में फ्रॉड केस में गिरावट दर्ज हुई।

2015 में 5,785 बैंक कर्चारियों पर जालसाजी करने के लिए एक्शन लिया गया। अगले साल 2016 में फ्रॉड के केस में 20 परसेंट की कमी हुई। इस दौरान 4,360 कर्मचारियों पर एक्शन लिया गया। 2017 में यह आंकड़ा 13 प्रतिशत और गिर गया। बीते साल 3,804 मामलों में एक्शन लिया गया।

वहीं, तीन साल के दौरान आईसीआईसीआई बैंक कर्मचारियों के खिलाफ 2015 में 732 मामले आए, जिन पर कार्यवाई हुई। हालांकि इस बैंक में भी साल बढ़ने के साथ फ्रॉड के मामले कम होते गए। 2015 की तुलना में 2016 के ऐसे मामलों में 15 परसेंट केस कम हुए। मामलों में 625 पर एक्शन लिया गया। लेकिन अन्य मामलों की तुलना में 2017 में फ्रॉड का आंकडा तेजी से उछल गया। 2017 में 879 मामलों पर कार्यवाई हुई।

बता दें कि, बीते काफी समय से आईसीआईसीआई बैंक पर विवादों का साया बरकरार है। बैंक के टॉप अधिकारी तक विवाद लपटों में घिरे रहे हैं। आईसीआईसीआई बैंक की चीफ रहीं चंदा कोचर पर अनियमता के आरोप लगे थे। जिसके चलते उन्हें पद तक छोड़ना पड़ गया था। इनमें 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से विडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपए का कर्ज देने का मामला भी शामिल है।