आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर की मुश्किलें और बढने जा रही हैं। कथित धोखाधड़ी के आरोपों का सामना कर रहीं चंदा कोचर के खिलाफ सीबीआई को मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल गई है। कोचर पर 3,250 करोड़ रुपये के ऋण की धोखाधड़ी का आरोप है। यह लोन वीडियोकॉन समूह को जारी किया गया था। जांच एजेंसी की ओर से पेश हुए विशेष सरकारी वकील ए लिमोसीन ने अदालत को बताया कि आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड ने इस साल 22 अप्रैल को पारित एक प्रस्ताव में (कोचर के खिलाफ) अभियोजन की अनुमति दी।
लिमोसीन ने बताया कि बोर्ड ने स्वीकार किया है कि ऋण आवंटित करने के बदले में लाभ हासिल किया गया था। बता दें कि चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को सीबीआई ने मामले के सिलसिले में पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया था। बाद में, बंबई उच्च न्यायालय ने दंपति को जमानत दे दी थी। एजेंसी ने वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को भी गिरफ्तार किया था।
कोचर दंपति की जमानत के दौरान सीबीआई को हाईकोर्ट से फटकार भी मिली थी। कोर्ट ने इसकी गिरफ्तारी के तरीके पर सवाल उठाए थे। सीबीआई ने पूरे मामले में सीबीआई ने कोचर दंपती और धूत के साथ ही दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपावर रिन्यूएबल्स (NRL), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकान इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकान इंडस्ट्रीज लिमिटेड समेत कुल नौ कंपिनयों व्यक्तियों को नामजद किया था।
क्या है पूरा मामला?
2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को ICICI बैंक द्वारा 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था। जो बाद में एनपीए हो गया और बाद में इसे “बैंक फ्रॉड” कहा गया। आरोप है कि जब चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की कमान संभाल रही थीं, तब उन्होंने वीडियोकॉन ग्रुप को लोन दिया था। बदले में चंदा के पति दीपक कोचर की कंपनी नू रिन्यूएबल को वीडियोकॉन से निवेश मिला था। इस मामले को लेकर ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक और सेबी को एक पत्र लिखकर वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और ICICI की सीईओ व एमडी चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था।