कर्मचारियों की प्रोविडेंट फंड में जमा राशि पर ब्याज दर को ईपीएफओ ने घटाकर 8.5 फीसदी कर दिया है। बीते 8 सालों में यह पहला मौका है, जब प्रोविडेंट फंड की ब्याज दर इतनी कम है। इससे पहले फाइनेंशियल ईयर 2012-13 में पीएफ की ब्याज दर इस लेवल पर थी। हालांकि प्रोविडेंट फंड पर ब्याज दर की बात करें तो एक दौर में यह 12 फीसदी थी, जो अब तक की सबसे ज्यादा दर है। यही नहीं करीब 11 सालों तक पीएफ की ब्याज दर 12 फीसदी ही बनी रही और यह दौर था, 1989-90 से 1999 तक का। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रीत्व काल में 2000-02 में इसे 11 फीसदी किया गया और फिर 2001-02 में यह घटकर 9.5 पर्सेंट ही रह गई। इसके बाद फिर इसमें लगातार गिरावट का दौर बना रहा।

एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन यानी EPFO की स्थापना 4 मार्च, 1952 को हुई थी। तब से अब तक आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पीएफ की ब्याज दर 1952-53 से 1954-55 तक महज 3 फीसदी ही थी, जो अब तक के इतिहास में सबसे कम है। इसके बाद पीएफ के ब्याज में उत्तरोत्तर इजाफा होता गया और 1973-74 में यह तेजी से बढ़ते हुए 6 फीसदी हो गया।

इसके बाद महज 5 साल के अंतराल में ही 1978 तक प्रोविडेंट फंड की ब्याज दर 8 फीसदी हो गई थी। इसके बाद फिर 1988-89 में बड़ा इजाफा हुआ, जब 12 ब्याज की दर 12 पर्सेंट हो गई। यही नहीं यह दौर लंबा चला और 1999 तक ब्याज की दर 12 फीसदी पर बनी रही। हाल के सालों की बात करें तो वित्त वर्ष 2011-12 के दौर में यह 8.25 फीसदी थी, जो 21वीं सदी में सबसे कम थी।

गौरतलब है कि ईपीएफओ ट्रस्टीज की बैठक में गुरुवार को पीएफ की ब्याज दर को 8.65 फीसदी से घटाकर 8.5 फीसदी करने का फैसला लिया गया था। ईपीएफओ का तर्क है कि आर्थिक सुस्ती के चलते उसकी कमाई में कमी आई है, ऐसे में उसके लिए 8.65 पर्सेंट का ब्याज देना संभव नहीं होगा।