पिछले तीन-चार साल में पतंजलि आयुर्वेद ने FMCG सेक्टर में मल्टीनैशनल कंपनियों के प्रभुत्व को खासा नुकसान पहुंचाया है। विभिन्न श्रेणियों में प्राकृतिक उत्पादों को उतारकर पतंजलि ने प्रतिद्वंदियों को मजबूर किया कि वह अपनी रणनीति में बदलाव करें। विशेषज्ञों के अनुसार, FMCG कंपनियों ने पतंजलि की चुनौती का सामना करने के लिए उसी कीमत में वैसे ही उत्पाद उतारने शुरू किए। इस कदम का असर धीरे-धीरे इन कंपनियों के राजस्व पर दिखने लगा है। द इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार- घी, आटा, दंतमंजन, खाद्य तेलोंद, मसालों और आयुर्वेदिक स्वास्थ्य उत्पादों की बदौलत पतंजलि आयुर्वेद बाजार में धाक जमाने में सफल रहीं। हालांकि पतंजलि के चॉकलेट, नूडल्स, बिस्किट, पर्सनल केयर और जूस वैसी सफलता हासिल नहीं कर सके।
पतंजलि के उभार से मुख्यधारा की FMCG कंपनियों के सामने खतरा पैदा हो गया। उन्हें हर्बल/आयुर्वेदिक/प्राकृतिक श्रैणी में नए उत्पाद उतारे और दाम में बदलाव करना पड़ा। हिंदुस्तन यूनिलीवर ने अपने ‘आयुष’ ब्रांड को फिर से लॉन्च किया और आयुर्वेदिक हेयर ऑयल ब्रांड ‘इंदुलेखा’ को अधिग्रहीत किया। ओरल केयर सेगमेंट में ऐसा ही नुकसान उठाने वाली कोलगेट-पामोलिव ने अपना हर्बल टूथपेस्ट लॉन्च किया। जेपी मॉर्गन की एक रिपोर्ट कहती है च्यवनप्राश, शहद, हेयर ऑयल और टूथपेस्ट जैसे उत्पादों में डाबर की वृद्धि को पतंजलि से तगड़ा खतरा है।
रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि प्रतिद्वंदिता में अब वैसा घमासान देखने को नहीं मिल रहा क्योंकि पतंजलि के उत्पादों में कोई यूनिक सेलिंग प्रपोजिशन (USP) नहीं रह गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बाकी सारे ब्रांड्स भी उसी बाजार में बराबर या कम कीमत पर उतर चुके हैं। इसके अलावा कंपनी के क्वालिटी और सप्लाई चेन भी समस्याएं आ रही हैं।
पतंजलि अब नए क्षेत्रों में उतरने की योजना बना रही है। पिछले कुछ वर्षों में, बाबा रामदेव प्रमोटेड इस कंपनी ने शिक्षा और वस्त्र व्यवसाय में हाथ आजमाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पतंजलि अब असंगठित क्षेत्र के लिए ज्यादा बड़ा खतरा बन गई है।