सरकार ने कहा है कि आने वाले दिनों में बैंक आवास, वाहन और दूसरे कर्ज को सस्ता किया जाएगा। रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में की गई कटौती का लाभ बैंक कर्ज लेने वालों को उपलब्ध कराएंगे। इसके लिए बैंक अपनी ब्याज दर में कमी लाएंगे। उन्होंने कहा कि बैंक रेपो दर से जुड़े अथवा दूसरी किसी बाहरी-मानक दर से संबद्ध ऋण उत्पाद पेश करेंगे। इससे आवास, वाहन और अन्य खुदरा ऋणों की मासिक किस्तें सस्ती हो जाएंगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कई आर्थिक उपायों की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने बैंकों में नकदी बढ़ाने के अनेक उपाय किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शुरुआत में ही 70 हजार करोड़ रुपए की पूंजी डालेगी। इस कदम से बैंक वित्तीय प्रणाली में पांच लाख करोड़ रुपए तक की नकदी जारी करने में सक्षम हो सकेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों ने रिजर्व बैंक की ओर से रेपो दर में कटौती का फायदा ग्राहकों को पहुंचाने का फैसला किया है। इसके लिए बैंकों ने अपनी सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) में कटौती की है।
सीतारमण ने घोषणा की सरकार आवास वित्त कंपनियों को राष्ट्रीय आवास बैंक के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त नकदी सहायता भी उपलब्ध कराएगी जिससे कुल समर्थन राशि 30,000 करोड़ रुपए हो जाएगी। गैर-बैंकिंग कंपनियों और आवास वित्त कंपनियों की एक लाख करोड़ रुपए तक की एकजुट परिसंपत्तियों की खरीद के लिए सरकार की घोषित आंशिक ऋण योजना की प्रत्येक बैंक में उच्च स्तर पर निगरानी की जाएगी। गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) को जारी किए गए पूर्वभुगतान नोटिसों की बैंक निगरानी करेंगे। सीतारमण ने कहा कि एनबीएफसी को प्रक्रियाओं के दोहरीकरण से बचने के लिए बैंकों के आधार सत्यापित ‘अपने ग्राहक को पहचानो’ (केवाईसी) के इस्तेमाल की अनुमति दी जाएगी। सरकार ने ऋण प्रक्रिया को आसान करने के लिए आधार नियमों को सरल बनाने और धनशोधन कानून में आवश्यक बदलाव करने का निर्णय किया है।
सीतारमण ने कहा कि उद्योगों के लिए कार्यशील पूंजी ऋण को भी सस्ता बनाया जाएगा। लोगों को परेशानी से बचाने और कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए सरकारी बैंक सुनिश्चित करेंगे कि कर्जदार का ऋण खत्म होने के 15 दिन के भीतर ऋण के लिए गिरवी रखे दस्तावेज लौटा दिए जाएं। इससे गिरवी रख कर ऋण लेने वालों को लाभ होगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था और सरकार के वृद्धि एजंडे को लेकर आशंकाओं को खारिज करने का प्रयास करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वैश्विक अर्थव्यवस्था या किसी अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि सुधार एक सतत प्रक्रिया है। यह उनकी सरकार के एजंडे में शीर्ष पर है। उन्होंने कहा कि वैश्विक वृद्धि दर का अनुमान कम किया जा सकता है। अभी इसके 3.2 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मांग कमजोर रहेगी। लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक औसत या अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रही है। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और मुद्रा के अवमूल्यन की वजह से वैश्विक व्यापार में काफी उतार-चढ़ाव पैदा हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन का भी वित्त मंत्री ने जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा था कि परिसंपत्तियों का सृजन करने वालों का सम्मान होना चाहिए। सीतारमण ने कहा कि उनके 2019-20 के बजट में भी यह भावना थी। हमने सुधारों की रफ्तार कम नहीं की है।
इस बीच सरकार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) की मांग को पूरा करते हुए उन पर लगाया गया ऊंचा कर अधिभार वापस ले लिया। सीतारमण ने यह एलान करते हुए कहा कि इस मामले में बजट पूर्व की स्थिति बहाल कर दी गई है। 2019-20 के बजट में ऊंची कमाई करने वालों पर ऊंची दर से कर अधिभार लगा दिया गया। एफपीआइ भी इस बढ़े हुए अधिभार के दायरे में आ गए थे। उन्होंने कहा कि कहा कि इक्विटी शेयरों के हस्तांतरण से होने वाले दीर्घावधि और लघु अवधि के पूंजीगत लाभ पर अधिभार को वापस ले लिया गया है और बजट से पहले की स्थिति को फिर कायम कर दिया गया है। बताते चलें कि बजट में एफपीआइ पर अधिभार बढ़ाने की घोषणा से शेयर बाजार डगमगा गए थे।
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उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स और उनके निवेशकों की दिक्कतों को दूर करने के लिए उनके लिए एंजल कर के प्रावधान को भी वापस लेने का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य के अधीन स्टार्टअप्स की समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रकोष्ठ बनाया जाएगा।
वित्तमंत्री के बड़े ऐलान
सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शुरुआत में ही 70 हजार करोड़ रुपए की पूंजी डालेगी। बैंक में पूंजी की उपलब्धता को सुधारने और कर्ज देने की क्षमता को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
एफपीआइ, घरेलू निवेशकों से ‘सुपर रिच’ कर वापस लेने से सरकार को 1,400 करोड़ रुपए के राजस्व नुकसान होगा।
मार्च 2020 तक खरीदे गए भारत मानक- चार के वाहन पंजीकरण की पूरी अवधि तक परिचालन में बने रहेंगे। साथ ही, सरकार पुराने वाहनों के लिए कबाड़ नीति लाएगी।
छोटे एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के अब तक के सभी लंबित जीएसटी रिफंड का भुगतान 30 दिन के भीतर कर दिया जाएगा, भविष्य के रिफंड मामलों को 60 दिन के भीतर निपटा दिया जाएगा।
करदाताओं का उत्पीड़न समाप्त करने के लिए अब सभी कर नोटिस केंद्रीयकृत प्रणाली से।
कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के उल्लंघन पर अब आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।
अब सीएसआर नियमों का उल्लंघन दीवानी मामला होगा।
सरकार आवास वित्त कंपनियों को राष्ट्रीय आवास बैंक के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त नकदी सहायता भी उपलब्ध कराएगी।