Home Loan EMI reduce cut: होम लोन ग्राहक लंबे समय से अपनी EMI कम होने का इंतजार कर रहे हैं। और अब ऐसा लगता है कि उनका इंतजार कल (7 फरवरी 2025) को खत्म हो जाएगा। शुक्रवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank Of India) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) में रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया जा सकता है। और इसके साथ ही करीब 5 सालों में पहली बार होम लोन ईएमआई भी कम हो सकती है। आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governor Sanjay Malhotra) की अध्यक्षता वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी का पहला फैसला कल सुबह आएगा।
RBI अगर रेपो रेट में अनुमानित 25 बेसिस पॉइन्ट्स (bps) की कटौती करती है तो यह एक बड़ी बात होगी। क्योंकि केंद्रीय बैंक ने पिछले दो सालों से रेपो रेट को स्थिर रखा है। यह कदम मुद्रास्फीति में कमी और सरकार के विकास-समर्थक उपायों से प्रेरित है, जिसमें हाल ही में आए केंद्रीय बजट 2025 में पेश किए गए नए टैक्स रिजीम के तहत टैक्स रिलीफ भी शामिल हैं।
रेपो रेट में कटौती (Repo Rate Cut)
रेपो रेट, उस लागत को निर्धारित करती है जिस पर कमर्शियल बैंक, आरबीआई से उधार लेते हैं और यह सीधेतौर पर उधार दरों (Lending Rates) को प्रभावित करती है। रेपो रेट में कमी से आम तौर पर उधार लेने की लागत कम होती है, जिससे संभावित रूप से खुदरा और कॉर्पोरेट कर्जदारों को फायदा होता है।
सरकार द्वारा उपभोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 12 लाख तक रुपये की इनकम पर टैक्स रिलीफ की घोषणा की गई। रेपो रेट में कटौती से बाजार की उम्मीदों को बल मिलेगा। मुद्रास्फीति नीचे की ओर रही है, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति अक्टूबर 2024 में 6.2% से घटकर दिसंबर 2024 में 5.2% हो गई है। यदि मुद्रास्फीति आरबीआई (RBI) के कम्फर्ट ज़ोन में रहती है तो आगे की दर में कटौती हो सकती है।
कर्जदारों पर क्या असर पड़ेगा
रेपो रेट में कटौती से कर्जदारों को राहत मिलेगी, खासकर फ्लोटिंग-रेट होम लोन, पर्सनल लोन और बिजनेस लोन वाले लोगों को। हालांकि, बैंक किस हद तक ग्राहकों को लाभ पहुंचाते हैं यह क्रेडिट डिमांड, डिपॉजिट ग्रोथ और ओवरऑल लिक्विडिटी स्थितियों जैसे फैक्टर्स पर निर्भर करता है।
मल्टीपल रेट कट संभव
एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आरबीआई easing चक्र के दौरान नीति दर को cumulative 75 बीपीएस तक कम कर सकता है। फरवरी में कटौती के बाद अप्रैल 2025 में एक और कटौती होने की उम्मीद है। जबकि आरबीआई, मुद्रास्फीति के दबाव का आकलन करने के लिए जून में रुक सकता है, अक्टूबर 2025 से आगे की कटौती फिर से शुरू हो सकती है। एसबीआई की रिपोर्ट का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति 4.5% तक कम हो जाएगी और वित्तीय वर्ष के लिए औसत 4.8% होगी। यह धीरे-धीरे मौद्रिक नीति को आसान बनाने के मामले का समर्थन करता है।
Bankbazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, ”हालांकि 25 आधार अंकों की दर में कटौती की काफी हद तक उम्मीद है, लेकिन बाजार भागीदार आरबीआई के आगे के मार्गदर्शन पर पूरा ध्यान देंगे। लिक्विडिटी मैनेजमेंट और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए केंद्रीय बैंक का दृष्टिकोण, निवेशकों की भावना को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस तरह के कदम से उधार लेना अधिक किफायती हो जाएगा और ईएमआई चुकाने वालों के लिए वित्तीय बोझ कम हो जाएगा।”
सीपीआई मुद्रास्फीति में नरमी के संकेत दिखने और उपभोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकारी उपायों के साथ, दर में कटौती से उधारकर्ताओं को बहुत जरूरी राहत मिल सकती है और आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिल सकता है।