हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले लोगों को बड़ा तोहफा मिला है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के रेगुलेटरी नॉर्म्स में बड़े बदलाव किए हैं। अब बीमा कंपनी को यूजर के अनुरोध के एक घंटे के भीतर कैशलेस इलाज की अनुमति देने पर फैसला लेना होगा और किसी भी स्थिति में जिसने पॉलिसी ले रखी है उसे अस्पताल से छुट्टी मिलने के लिए इंतजार नहीं करना होगा।

यदि तीन घंटे से ज़्यादा लगते हैं तो इसका बिल बीमा कंपनी को भरना होगा। इसके लिए IRDAI ने इससे जुड़ा एक मास्टर सर्कुलर भी जारी किया है, जिसमें पिछले 55 सर्कुलर को निरस्त किया गया है ताकि यूजर के लिए बीमा हासिल करने में आसानी हो और उसके विश्वास को कायम रखा जा सके।

हेल्प डेस्क बनाने का सुझाव

IRDAI ने कहा कि इमरजेंसी वाले मामलों में आए अनुरोध पर बीमा कंपनी को तुरंत फैसला लेना चाहिए। इसके लिए IRDAI ने बीमा कंपनियों को 31 जुलाई तक कर्मचारी की नियुक्ति के लिए भी आदेश दिए और कहा कि बीमा कंपनी अस्पतालों में हेल्प डेस्क भी बना सकती हैं जहां से आसानी से लोगों की मदद की जा सकेगी। नए नोर्म्स के मुताबिक एक से ज़्यादा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों वाले पॉलिसीधारक को वह पॉलिसी चुनने का विकल्प मिलेगा जिसके तहत वह आसानी से वो रकम हासिल कर सके जो उसे चाहिए।

IRDAI को क्यों जारी करना पड़ा नया सर्कुलर?

एक सर्वे में पाया गया था कि 43 प्रतिशत हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले लोगों को इसे हासिल करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। कई मामलों में मरीज के डिस्चार्ज होने में 10-12 घंटे तक लगते रहे हैं।

सेटलमेंट ना होने की स्थिति में डिस्चार्ज नहीं किया जाता है और इस दौरान अस्पताल का खर्च मरीज़ और उसके परिवार पर भार बनता है और ऐसा कई मामलों में हुआ है। कई बार मरीजों से एक्स्ट्रा पैसा अस्पताल लेते रहे हैं, ऐसे में उन्हें हेल्थ इंश्योरेंस हासिल करने का बहुत ज़्यादा फायदा हासिल नहीं हुआ। अब IRDAI ने इस मामले में सख्ती दिखाई है।