गूगल, एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट ने अपने ऐसे कर्मचारी जो वीजा पर काम कर रहे हैं। उन्हें अर्जेंट चेतावनी जारी की है, कर्मचारियों को हर कीमत पर इंटरनेशनल ट्रैवल से बचने को कहा है। ये एडवाइजरी, जो कंपनियों के लीगल और इमिग्रेशन पार्टनर्स की तरफ से इंटरनल मेमो के जरिए भेजी गई थीं, ऐसे समय में आई हैं जब दुनिया भर में अमेरिकी एम्बेसीज ने अपॉइंटमेंट में 12 महीने तक की ऐतिहासिक देरी की रिपोर्ट दी है।
वीजा स्टैम्पिंग में आ रही इस बड़ी रुकावट की वजह से साल के आखिर में होने वाली सामान्य यात्राएं अब H-1B, H-4, F-1 और J-1 वीजा पर मौजूद हज़ारों हाई-स्किल्ड प्रोफेशनल्स के लिए बहुत बड़ा रिस्क बन गई हैं।
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लंबे इंतजार की चेतावनी
BAL इमिग्रेशन लॉ (गूगल को रिप्रेजेंट करते हुए) और फ्रैगोमेन (एप्पल को रिप्रेजेंट करते हुए) के मेमो इस सप्ताह स्टाफ को भेजे गए है, जिसमें वीजा स्टैम्पिंग में बढ़ते संकट को हाईलाइट किया गया है।
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गूगल का मेमो:
BAL की एडवाइजरी में कहा गया है कि कुछ अमेरिकी एम्बेसी और कॉन्सुलेट में वीजा स्टैम्पिंग के अपॉइंटमेंट मिलने में बहुत ज्यादा देरी हो रही है, जो अभी 12 महीने तक की बताई जा रही है।
इसमें यह भी चेतावनी दी गई है कि जो कर्मचारी इस समय यात्रा करते हैं, अगर उनके अपॉइंटमेंट आगे टल जाते हैं, तो उन्हें अमेरिका के बाहर सामान्य से कहीं ज्यादा समय तक रुकना पड़ सकता है।
ऐप्पल का मेमो:
जनसत्ता की सहयोगी फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, Fragomen ने Apple के कर्मचारियों से कहा है कि जिनके पास वैध वीजा स्टैम्प नहीं है, वे अभी अमेरिका से बाहर न जाएं। कंपनी का कहना है कि अगर वे बाहर गए, तो अमेरिका लौटते समय अचानक और काफी ज्यादा देरी हो सकती है।
इसी वजह से फर्म ज़ोर देकर सलाह दे रही है कि जिन यात्राओं के लिए दोबारा अमेरिका में एंट्री करने के लिए नया वीजा स्टैम्प चाहिए, ऐसी सभी यात्राएं अभी टाल दी जाएं।
क्यों हो रहा है ऐसा?
मेमो में बताई गई ‘बड़ी रूकावट’ अमेरिकी इमिग्रेशन पॉलिसी में एक बड़े बदलाव से जुड़ी हैं जो 15 दिसंबर, 2025 को लागू हुई थी।
– नए “ऑनलाइन प्रेजेंस रिव्यू” के तहत कॉन्सुलर अधिकारियों को Facebook, Instagram और X जैसे प्लेटफॉर्म पर एप्लीकेंट की पिछले 5 वर्ष की सोशल मीडिया हिस्ट्री को मैन्युअल रूप से स्क्रीन करना होगा।
– स्टेट डिपार्टमेंट के एक प्रवक्ता ने कन्फर्म किया कि कॉन्सुलेट अब “हर वीजा केस की अच्छी तरह से जांच को सबसे ऊपर प्राथमिकता दे रहे हैं,” और इंतजार का समय कम करने की पिछली कोशिशों से हट रहे हैं।
– छुट्टियों में घर गए सैकड़ों भारतीय प्रोफेशनल्स ने पहले ही लास्ट-मिनट कैंसलेशन की रिपोर्ट दी है। जो अपॉइंटमेंट्स पहले 2025 के आखिर में होने थे, उन्हें जून या अक्टूबर 2026 तक के लिए टाल दिया गया है।
‘ड्रॉपबॉक्स’ के चलते बढ़ा संकट
जनसत्ता की सहयोगी फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, कई एप्लिकेंट्स के लिए “इंटरव्यू वेवर” (ड्रॉपबॉक्स) सिस्टम लगभग पूरी तरह खत्म होने से यह संकट और बढ़ गया है। 2026 में अधिकतर वीजा रिन्यूअल के लिए इन-पर्सन इंटरव्यू की जरूरत होगी। लिमिटेड स्लॉट और सोशल मीडिया स्क्रीनिंग में ज्यादा समय लगने की वजह से चेन्नई और हैदराबाद जैसे हाई-वॉल्यूम हब्स में यह सिस्टम लगभग रुक गया है।
टेक सेक्टर के लिए खास तौर पर यह समय मुश्किल भरा है। गूगल और एप्पल ने अकेले 2024-25 साइकिल में लगभग 10,000 एच-1बी वीजा के लिए अप्लाई किया। इन कंपनियों के लिए, “ब्रेन ड्रेन” का रिस्क उनके 2026 के प्रोडक्ट रोडमैप के लिए एक बड़ा खतरा है।
