अमेरिकी दूतावास ने हाल ही में कहा कि सभी H-1B और H-4 वीजा आवेदकों को एक ‘ऑनलाइन प्रेजेंस रिव्यू’ से गुजरना होगा। जो 15 दिसंबर से शुरू हो गया है। 9 दिसंबर को सोशल मीडिया स्क्रीनिंग की जरूरत लागू होने से पहले, भारत में अमेरिकी दूतावास ने वीजा अपॉइंटमेंट रद्द करने और रीशेड्यूल करने की घोषणा की।

इससे सभी वीजा अपॉइंटमेंट पूरी तरह से रुक गए हैं, जिसका सबसे ज्यादा असर H-1B धारकों पर पड़ा है। भारतीय H-1B वीजा धारक फिलहाल दूतावास में वीजा स्टैंप न मिल पाने के कारण देश में फंसे हुए हैं।

ड्रीम के CEO और फाउंडर दिमित्री लिटविनोव ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन के साथ एक इंटरव्यू में वीजा अपॉइंटमेंट रीशेड्यूल करने के कारणों और भारतीय H-1B वीजा धारकों के भारत लौटने की जरूरत पर बात की। उन्होंने उन लोगों के लिए उपलब्ध मौजूदा विकल्पों के बारे में भी बताया जो देश में फंसे होने के कारण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं…

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अमेरिकी दूतावास ने भारत में बड़े पैमाने पर वीजा अपॉइंटमेंट रीशेड्यूल क्यों किए होंगे?

इसका असर सिर्फ भारतीय आवेदकों पर पड़ रहा है, क्योंकि पोस्ट-विशिष्ट ऑपरेशनल मुद्दे ग्लोबल नहीं होते हैं। हर अमेरिकी दूतावास अपना वर्कलोड, स्टाफिंग और सुरक्षा या IT सिस्टम खुद मैनेज करता है।

इसलिए जब भारत में अमेरिकी दूतावास जैसी किसी पोस्ट को अपॉइंटमेंट रीशेड्यूल करने पड़ते हैं तो इसका असर आमतौर पर सिर्फ उसी देश पर पड़ता है।

यह सिर्फ भारत के लिए अनोखा नहीं है। दूसरे देशों में भी इसी तरह के बड़े पैमाने पर रीशेड्यूल होते हैं। हमने कनाडा, मैक्सिको, नाइजीरिया, ब्राज़ील और यहां तक कि कुछ यूरोपीय पोस्ट में भी ऐसा देखा है, जो डिमांड और स्टाफिंग पर निर्भर करता है। भारत में इस पर ज्यादा ध्यान इसलिए जाता है क्योंकि आवेदकों की संख्या बहुत ज्यादा है।

एक और कारण 15 दिसंबर से कुछ वीजा कैटेगरी के लिए नई स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं की शुरुआत है, जिसके कारण वाणिज्य दूतावासों को हर दिन इंटरव्यू की संख्या कम करनी पड़ी।

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क्या यह सभी वीजा आवेदकों पर लागू होगा या सिर्फ H-1B रिन्यूअल पर?

जनसत्ता की सहयोगी फाइनेंशियल एक्सप्रेस की जानकारी के अनुसार, रीशेड्यूलिंग किसी भी वीजा कैटेगरी पर लागू होती है जिसका अपॉइंटमेंट प्रभावित तारीखों के बीच आता है-सिर्फ रिन्यूअल पर नहीं। यानी B1/B2, F-1, H वीजा, L वीजा और अन्य सभी प्रभावित हो सकते हैं। अगर उनकी अपॉइंटमेंट उस समय के दौरान शेड्यूल की गई थी। यह पूरी तरह से अपॉइंटमेंट शेड्यूलिंग में एक ऑपरेशनल बदलाव है।

इसके अलावा, ऊपर बताए गए कारणों से इन बदलावों ने कई आवेदकों को प्रभावित किया, लेकिन सभी को नहीं। जो लोग प्रभावित हुए थे, उन्हें रीशेड्यूल की गई अपॉइंटमेंट के बारे में नोटिफिकेशन मिल गया होगा।

स्टैंपिंग के लिए H-1बी वीजा धारकों को अपने देश क्यों जाना पड़ता है?

H-1बी कर्मचारियों को आम तौर पर स्टैंपिंग के लिए विदेश यात्रा करना पड़ता है जब:

वे शुरुआती वैलिडिटी (आमतौर पर 3 साल) के बाद अपना वीजा रिन्यू कर रहे होते हैं या उन्होंने कंपनी बदल ली है और अमेरिका लौटने से पहले उन्हें एक नए स्टैंप की जरूरत है या उन्हें शुरू में कभी वीजा स्टैंप नहीं मिला। उदाहरण के लिए, उन्होंने अमेरिका के अंदर F-1 से H-1B में स्टेटस बदला और अब उन्हें यात्रा के लिए स्टैंप की जरूरत है।

भले ही USCIS अमेरिका के अंदर H-1B स्टेटस को मंज़ूरी देता है, लेकिन असली H-1B वीज़ा स्टैंप केवल विदेश में अमेरिकी दूतावास में ही जारी किया जा सकता है। ज़्यादातर भारतीय नागरिकों के लिए भारत ही डिफ़ॉल्ट जगह है, यही वजह है कि इतने सारे H-1B कर्मचारी खास तौर पर स्टैंपिंग के लिए वापस आते हैं। तो हां, यह आमतौर पर रिन्यूअल, एक्सटेंशन, या स्टेटस बदलने के बाद पहली बार स्टैंपिंग के लिए होता है।

क्या है समाधान?

रीशेड्यूल की गई अपॉइंटमेंट का इंतजार

अगर कोई व्यक्ति पहले से ही भारत में है और उसे नई अपॉइंटमेंट की डेट मिल गई है, तो वे वैलिड वीजा स्टैंप के बिना अमेरिका में दोबारा एंट्री नहीं कर सकते है।

इमरजेंसी अपॉइंटमेंट की कोशिश करें

अगर नौकरी खतरे में है या मेडिकल इमरजेंसी हैं, तो वे दूतावास पोर्टल के जरिए जल्द अपॉइंटमेंट का अनुरोध कर सकते हैं। इसकी गारंटी नहीं है, अमेरिकी दूतावास ऐसे अनुरोधों को केवल असाधारण परिस्थितियों में ही मंज़ूरी देता है। उदाहरण के लिए किसी करीबी रिश्तेदार के अंतिम संस्कार के लिए जरूरी यात्रा, आपातकालीन मेडिकल इलाज या किसी एकेडमिक प्रोग्राम की शुरुआत आदि।

रिमोट वर्क करें

अगर उनका एम्प्लॉयर सहमत होता है, तो कई H-1B कर्मचारी वीजा जारी होने तक विदेश से ही रिमोट काम करते हैं। यह कानूनी तौर पर तब तक जायज है जब तक U.S. पेरोल नियमों का पालन किया जाता है और टैक्स से जुड़ी बातों को समझा जाता है।