देशभर में एक जुलाई से गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हो चुका है। इससे व्यापारियों को फायदा पहुंचने लगा है। उनका माल ढुलाई का खर्चा भी कम हो रहा है लेकिन उसका फायदा आम आदमी को नहीं मिल पा रहा है। माल ढुलाई कम होने से माल की कीमतों में कमी होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। इंडस्ट्री एसोसिएशन के मुताबिक जीएसटी लागू होने से टैक्स चेक पोस्टों पर खर्च होने वाले प्रति वाहन कम से कम 7500 रुपये की बचत हो रही है। इसके अलावा माल अब पहले की तुलना में 24 से 36 घंटे पहले पहुंच रहा है। यानी समय की भी बचत हो रही है।

एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के बयान के मुताबिक, “जीएसटी लागू होने से पहले माल ढुलाई में लगे वाहनों को कई चेक-पोस्ट पर रुकने पड़ते थे और वैट, ऑक्टोरोई समेत कई स्थानीय चुंगी भी चुकानी पड़ती थी। इस प्रक्रिया में पांच से छह दिनों के अंदर ट्रक या लॉरी 2200 किलोमीटर भी नहीं जा पाती थी। अब दिल्ली-चेन्नई के आसपास इतनी दूरी मात्र तीन दिन में तय हो रही है।” एसोचैम के मुताबिक, वाहन मालिकों और व्यापारियों से बातचीत के आधार पर ही कहा जा रहा है कि चेक पोस्ट हटाए जाने से अब 24 से 36 घंटे की बचत हो रही है।

बता दें कि इन चेक पोस्टों पर लूट और भ्रष्टाचार का बोलबाला होता था। एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर अमूमन हर गाड़ी को पांच हजार रुपये से साढ़े सात हजार रुपये तक का चढ़ावा चुंगी पर पुलिस को चढ़ाना पड़ता था। जीएसटी लागू होने के बाद ऐसे कर बंद हो गए। लिहाजा, उन अड्डों पर लूट का कारोबार भी खत्म हो गया। इससे व्यापारियों ने राहत की सांस ली है।

वाहन मालिकों से बातचीत में इस बात का खुलासा हुआ है कि दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता, मुंबई-जयपुर, अहमदाबाद-दिल्ली, बेंगलुरू-दिल्ली रूटों पर वाहन मालिकों को ड्राइवर और उसके हेल्पर को 10 हजार रुपये अतिरिक्त खर्च के तौर पर देने पड़ते थे। यह रकम आउट ऑफ पॉकेट मनी होता था जो चेक पोस्टों पर अवैध रूप से देने पड़ते थे।