गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के दौर में अगर दूसरे देशों से तुलना करें तो भारत में वाहनों पर सबसे ज्यादा टैक्स वसूला जा रहा है।
भारत में कार और दोपहिया वाहनों पर 28 फ़ीसदी की जीएसटी दरों से हिसाब से टैक्स लगता है। कार के प्रकार और इंजन के हिसाब से जीएसटी के अलावा कारों पर 3 से 22 तक अतिरिक्त सेस लगाया जाता है। 4 मीटर लंबी एसयूवी जो 1500cc कैपेसिटी इंजन में आती है तो उस पर लगभग 50 फीसदी टैक्स लगता है। जुलाई 2017 में सभी इनडायरेक्ट टैक्स जैसे एक्साइज टैक्स, वैट और एंटरटेनमेंट टैक्स को खत्म करके सरकार ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू किया था।
इस टैक्स के चलते कई कंपनियों ने नाराजगी भी जताई है। यहां तक कि जापानी ऑटो कंपनी टोयोटा ने पिछले दिनों ज्यादा टैक्स को वजह बताते हुए भारत में अपने बिजनेस का विस्तार न करने की बात कही थी। हालांकि बाद में कंपनी ने अपना फैसला पलट दिया था। कारों पर इस टैक्स के बाद भी सरकार जीएसटी में कटौती के मूड में नहीं है। पिछले दिनों वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा था कि कारों पर पहले के एक्साइज और वैट के मुकाबले टैक्स काफी कम है।
भारत दुनिया का पांचवा बड़ा कार बाजार है, लेकिन इसमें छोटी कारों का दबदबा है। इसकी वजह बड़ी कारों पर ज्यादा टैक्स लगना है। हालांकि आबादी के हिसाब से देखें तो कार मालिकों की संख्या बहुत कम है। भारत में एक हजार घरों में फिलहाल 33 कारें हैं, 2050 तक इसके बढने की उम्मीद है। 2050 तक भारत में एक हजार घरों में 110 कार होने की उम्मीद है।
जनरल मोटर्स ने बंद किया बिजनेस, फोर्ड ने बेचे एसेट्स: इससे पहले 2017 में जनरल मोटर कॉरपोरेशन ने अपना भारत का बिजनेस बंद कर दिया था, जबकि फोर्ड मोटर्स कॉरपोरेशन पिछले वर्ष अपने असेट्स महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड को एक ज्वाइंट वेंचर में देने के लिए तैयार हो गया। एक समय फोर्ड का उद्देश्य 2020 तक भारत की टॉप 3 ऑटोमोबाइल कंपनियों में शामिल होना था। अब फोर्ड ने भारत में अपने सभी इंडिपेंडेंट ऑपरेशन बंद कर दिए हैं।