GST News: केंद्र सरकार ने जीएसटी रजिस्टर्ड कारोबारियों के बी2बी सौदों के ई-इनवॉयसिंग के टर्नओवर की सीमा को 20 करोड़ से घटाकर 10 करोड़ कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब एक वर्ष के दौरान 10 करोड़ या उससे अधिक का कारोबार करने वाले व्यापारियों को ई-इनवॉइस जनरेट करना होगा। वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह नियम 1 अक्टूबर से प्रभावी हो जाएगा।
सरकार के इस कदम का उद्देश्य अधिक वैल्यू वाले ट्रांजैक्शन का डिजिटलीकरण करना है। इससे बिक्री के आंकड़ों को व्यापारी अधिक पारदर्शी तरीके से सरकार को रिपोर्ट करेंगे। इसके साथ ही गलतियों और मिसमैच की कम संभावना, डाटा एंट्री कार्य को ऑटोमेटेड करना और अनुपालन में सुधार करना है।
वहीं, सूत्रों का कहना है कि सरकार का उद्देश्य ई-इनवॉयसिंग की सीमा को घटाकर 5 करोड़ करना है, जिससे जीएसटी के दायरे में अधिक से अधिक कंपनियां को लाया जा सकें और कर चोरी पर लगाम लगाई जाए। इसके लिए केंद्रीय बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC) सोमवार 1 अगस्त को एक नोटिफिकेशन जारी कर चुका है, जिसमें बताया गया है कि ई-इनवॉयसिंग की सीमा को जीएसटी परिषद की सिफारिश के अनुरूप ही घटाया गया है।
चरणबद्ध तरीके से ई-इनवॉयसिंग को लागू कर रही सरकार
जीएसटी परिषद ने ई-इनवॉयसिंग को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का फैसला किया था। जीएसटी परिषद ने सबसे पहले सालाना 500 करोड़ रुपए टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए ई-इनवॉइस को अनिवार्य किया था। इसके बाद 1 जनवरी 2021 को इसकी सीमा घटाकर 100 करोड़ रुपए फिर 1 अप्रैल 2021 को 50 करोड़ रुपए और इस साल 1 अप्रैल 2022 को इसकी सीमा घटाकर 20 करोड़ रुपए कर दी गई थी।
इसका क्या होगा असर?
सरकार के इस कदम पर डेलॉयट इंडिया के एमएस मणि शंकर का कहना है कि जीएसटी परिषद के इस फैसले से टैक्स का बेस बढ़ेगा और अधिक कंपनियां जीएसटी के दायरे में आएंगी। इसके साथ ही सरकारी संस्थाओं को अनुपालन के लिए अधिक डाटा मिलेगा। वहीं, उनका कहना यह भी है कि सरकार आगे चलकर ई-इनवॉयसिंग को सभी के लिए लागू कर सकती है।