वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) पर मॉडल कानून के मसौदे को एक महीने में अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उद्योग मंडल एसोचेम के एक कार्यक्रम में वित्त मंत्रालय में विशेष सचिव रश्मि वर्मा ने कहा कि मसौदा तैयार होने में एक महीने का और समय लगेगा। एक बार यह पूरा हो जाता है, तो हम इसे सार्वजनिक करेंगे और व्यापार संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो कागज अभी सार्वजनिक किया गया है, वह केवल कानून के मसौदे पर चर्चा के लिए प्राथमिक दस्तावेज मात्र है। भविष्य में इसमें कई बदलाव हो सकते हैं।

जीएसटी क्रियान्वित करने के लिए संसद से संविधान संशोधन विधेयक पारित होने के बाद केंद्र और राज्यों को नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को प्रभाव में लाने के लिए अपना स्वयं का कानून बनाना होगा। विशेष सचिव ने कहा- अगर उद्योग मांग करता है तो सरकार वस्तुओं की अंतरराज्यीय आवाजाही पर एक फीसद अतिरिक्त कर लगाने के प्रस्ताव को छोड़ने पर फिर से विचार के लिए तैयार हैं। रश्मि ने कहा कि विभिन्न उद्योग व राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श के दौरान यह महसूस किया जाता है कि हमें एक फीसद अतिरिक्त कर हटाना चाहिए। उन्होंने कहा- मैं भी इस बात से सहमत हूं कि एक फीसद अतिरिक्त कर हटने से जीएसटी ढांचे में ज्यादा सुधार होगा। लेकिन उन्होंने रेखांकित किया कि सरकार वस्तुओं के एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर एक फीसद अतिरिक्त कर के प्रभाव को कम करने के लिए पहले ही जीएसटी विधेयक में बदलाव कर चुकी है जो फिलहाल राज्यसभा में है।

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित एक फीसद अतिरिक्त कर के बारे में कई राय हैं। इस पर विचार करने वाली प्रवर समिति ने भी सिफारिश की थी जिसे हमने स्वीकार कर लिया है। इसके तहत अब एक फीसद अतिरिक्त कर केवल बिक्री पर होगा, वस्तुओं की आपूर्ति पर नहीं। इससे कर-पर-कर का प्रभाव कम होगा। विवाद समाधान प्रणाली के बारे में रश्मि ने कहा कि जीएसटी परिषद विवाद पर फैसला नहीं करेगी बल्कि केवल तौरतरीकों पर गौर करेगी। विवाद निपटान के लिए स्वतंत्र प्रणाली के बारे में जीएसटी परिषद सिफारिश करेगी। यह न्यायाधिकरण, प्राधिकरण या अन्य के रूप में हो सकता है। परिषद स्वयं मुद्दों का समाधान नहीं करेगी।