जीएसटी काउंसिल की मीटिंग के दौरान केंद्र सरकार ने राज्यों की जीएसटी क्षतिपूर्ति की पेमेंट में देरी होने के लिए कोरोना के चलते आई आर्थिक सुस्ती को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि जीएसटी की पेमेंट अगस्त-सितंबर 2019 के बाद से ही लटकी हुई थी, तब कोरोना का संकट नहीं था। दरअसल देश में बीते करीब तीन सालों से चल रहे आर्थिक सुस्ती के माहौल की वजह से पिछले साल अगस्त में ही जीएसटी कलेक्शन पर विपरीत असर पड़ा था। उसके बाद लगातार गिरावट की ही स्थिति देखने को मिली है। जीडीपी ग्रोथ रेट की ही बात करें तो अप्रैल-जून 2019 तिमाही में यह 5.2 फीसदी थी, लेकिन फिर जुलाई-सितंबर में यह आंकड़ा घटकर 4.4 पर्सेंट ही रह गया और फिर अक्टूबर-दिसंबर में यह दर घटकर 4.1 पर्सेंट हो गई। इसके बाद जनवरी-मार्च तिमाही में यह आंकड़ा कम होते हुए 3.1 पर्सेंट ही रह गया।
इसका असर ग्रॉस जीएसटी रेवेन्यू पर भी देखने को मिला था और अगस्त 2019 में यह आंकड़ा 98,203 करोड़ रुपये ही रह गया। यही नहीं सितंबर में बीते साल 2018 के मुकाबले 2.7 पर्सेंट की कमी के साथ यह आंकड़ा 91,917 करोड़ रुपये हो गया और फिर अक्टूबर में 5.3 फीसदी की गिरावट के साथ 95,380 करोड़ रुपये ही था। जीएसटी कलेक्शन की रफ्तार नवंबर में कुछ बढ़ी थी, लेकिन इसकी वजह फेस्टिव सीजन में सेल का बढ़ना और इनपुट टैक्स क्रेडिट पर कैप लगाना था।
कारोबारों पर 20 पर्सेंट के इनपुट टैक्स क्रेडिट की लिमिट तय किए जाने के चलते टैक्स कलेक्शन बढ़ा था। यह कैप खरीददारों के लिए ही थी, जिनके सप्लायर्स ने इनवॉइस अपलोड न किया हो, जिसे 18 दिसंबर को हुई जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में 10 फीसदी कर दिया गया। केंद्र सरकार ने सितंबर, 2019 में गोवा में हुई जीएसटी काउंसिल की 37वीं मीटिंग में ही जीएसटी कम्पेन्सेशन की पेमेंट में समस्या की बात स्वीकार की थी।
केंद्र सरकार ने कहा था कि कम्पेन्सेशन फंड में उपलब्ध सेस की राशि फरवरी में दिसंबर और जनवरी की पेमेंट के लिए कम हो जाएगी। इसकी वजह रेवेन्यू में लगातार कमी आना है। इसके बाद 27 नवंबक, 2019 को जीएसटी काउंसिल ने राज्यों को पत्र लिखकर कहा था कि अगले कुछ महीनों में जीएसटी में कम्पेन्सेशन सेस के कलेक्शन में तेजी से गिरावट आई है और यह चिंता की वजह है। ऐसे में कम्पेन्सेशन की जरूरतों का पूरा हो पाना मुश्किल होगा।
तभी से पेमेंट का लटकना शुरू हुआ था और राज्यों के वित्त मंत्रियों ने बकाया जीएसटी क्षतिपूर्ति की रकम जारी करने की मांग की थी। अगस्त-सितंबर 2019 की बकाया 35,298 करोड़ रुपये की जीएसटी क्षतिपूर्ति की रकम दिसंबर में जारी की गई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने फरवरी 2020 और फिर अप्रैल 2020 में दो किस्तों में 34,053 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी, जो अक्टूबर और नवंबर की बकाया रकम थी।
इसके बाद केंद्र सरकार ने इसी साल जून में दिसंबर से फरवरी तक के लिए 36,400 करोड़ रुपये की रकम जारी की थी। इसके बाद मार्च का बैलेंस 13,806 करोड़ रुपये जुलाई में जारी किया गया। इस तरह केंद्र सरकार की ओर से फाइनेंशियल 2019-20 के लिए कुल 1.65 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी क्षतिपूर्ति की रकम राज्यों को जारी की गई।