ई-कामर्स के ‘काफी जटिल’ और ‘बहुस्तरीय’ कारोबारी ढांचे की वजह से सरकार इसकी उचित परिभाषा पर काम कर रही है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि इससे कई मुद्दों मसलन कराधान वगैरह को लेकर स्थिति अधिक स्पष्ट हो सकेगी।
सीतारमण ने कहा- यह आसान नहीं है। हमारी अंशधारकों के साथ बैठक हुई है। राज्य सरकारों ने अपनी राय दी है। ऐसे में हमें लगता है कि इस पूरी चीज को परिभाषित किया जाना चाहिए कि मार्केट प्लेस क्या है, यह मार्केट प्लेस क्यों है और कब यह पोर्टल से संबंधित है।
उन्होंने कहा कि ई-कामर्स कारोबार से संबंधित पूरा मामला काफी जटिल है और यह कई स्तरों का बन गया है। यही वजह है कि हम इस पर काम कर रहे हैं। जल्द इसकी परिभाषा आएगी। मंत्री ने हालांकि स्पष्ट किया कि सरकार ई-कामर्स रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के मुद्दे को नहीं देख रही है। सीतारमण ने कहा कि ई-कामर्स के खुद ही काफी मुद्दे हैं।
इस क्षेत्र की ज्यादातर कंपनियां लाजिस्टिक्स को देख रही हैं साथ ही वे भंडारण भी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि कई राज्यों ने अब इस तरह की कंपनियों पर कर लगाना शुरू कर दिया है, क्योंकि वे भंडार रख रही हैं। मौजूदा एफडीआइ नीति के तहत ई-कामर्स गतिविधियों से तात्पर्य किसी कंपनी द्वारा ई-प्लेटफार्म के जरिये खरीद फरोख्त से है।