केंद्र सरकार के उच्च स्तरीय सलाहकार समूह (HLAG) ने मोदी सरकार को विदेशों में छिपाए गए 500 बिलियन डॉलर को वापस लाने के लिए सुझाव दिए हैं। सरकारी पैनल ने केंद्र को एलिफैंट बांड लाने की सलाह दी है। पैनल ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि अगर सरकार एलिफैंट बांड को अपनाती है तो इससे सरकार को बड़े स्तर पर फायदा होगा। इससे व्यापार बढ़ोतरी और अधूरे पड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को पूरा करने में मदद मिलेगी।

एलिफैंट बांड के जरिए वे लोग जिन्होंने विदेशी बैंकों में अपने काले धन को छिपाकर रखा हुआ और जिसकी जानकारी सरकार को भी नहीं है उसे वापस लाने में मदद मिलेगी। एलिफैंट बांड के तहत कोई भी व्यक्ति अपने कालेधन के बारे में सरकार को बताएगा। यानि कि उसके काले धन को सफेद में तब्दील कर दिया जाएगा लेकिन उसको अमाउंट का कुछ हिस्सा दिया जाएगा जबकि बाकी हिस्सा सरकार के पास रहेगा।

प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के पूर्व सदस्य और HLAG के चेयरमैन सुरजीत एस भल्ला ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया ‘वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अन्तर्गत आने वाली एचएलएजी का अनुमान है कि भारत को एलिफैंट बांड से लगभग 500 बिलियन डॉलर हासिल हो सकते हैं जो कि की इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को गति प्रदान कर सकते हैं।” बता दें कि भल्ला को हाल ही मे आईएमएफ में भारत का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया है।

भल्ला ने बताया ‘अगर हमें 300 बिलियन डॉलर भी हासिल होते हैं तो इससे इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस प्रॉब्लम और इन्वेस्टमेंट और सेविंग्स के बीच में जो खाई बढ़ी है उसे दूर करने में मदद मिलगी। यह वास्तविक ब्याज दर में भारी कमी लाएगा। इसमें रुपए को मजबूत करने में भी मदद मिलगी।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी एक प्रमुख विशेषता यह है कि अपने काले धन का खुलासा करने वालों को ‘विदेशी मुद्रा, काले धन कानूनों और कराधान कानूनों सहित सभी कानूनों से छूट प्राप्त होगी।’

रिपोर्ट में बताय गया है कि ‘कई देशों ने ब्लैक मनी को वापस लाने के लिए इस तरह के उपायों को अपनाया है। इनमें पाकिस्तान, इंडोनेशिया अर्जेंटीना और फिलीपींस जैसे देश शामिल हैं। इंडोनेशिया ने 2016 में इसे लागू किया था। इंडोनेशिया को एमनेस्टी अवधि के दौरान इसमें लगभग 970,000 आवेदकों ने हिस्सा लिया। इससे सरकार को 367.9 बिलियन डॉलर प्राप्त हुए।

मालूम हो कि विदेशों में भारी मात्रा में ब्लैकमनी जमा है और इसका पता लगाना काफी मुश्लिक है कि ब्लैकमनी किन-किन लोगों के पास है। हालांकि पैनल की इस रिपोर्ट को सरकार लागू करेगी या नहीं यह अभी साफ नहीं है।