भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन कंपनी (जेनको) एनटीपीसी लिमिटेड ने 6,585 करोड़ रुपए पर अडानी एंटरप्राइजेज को 6.25 मिलियन टन (एमटी) कोयला के लिए टेंडर जारी किया है। एनटीपीसी की ओर मौजूदा कोयला और बिजली संकट से निपटने के लिए यह फैसला लिया गया है। कंपनी घरेलू कोयले समस्या से निपटने के लिए बिजली मंत्रालय के निर्देश पर 10 प्रतिशत कोयला आयात के लिए टेंडर कई कंपनियों को जारी किए हैं।
कंपनी ने छह अलग-अलग टेंडर चार फर्म के लिए जारी किया है, जिसमें अहमदाबाद स्थित आदि ट्रेडलिंक, चेन्नई स्थित चेट्टीनाड लॉजिस्टिक्स, और दिल्ली स्थित मोहित मिनरल्स लिमिटेड के साथ-साथ अडानी एंटरप्राइजेज शामिल हैं। इससे पहले जब मार्च के दौरान कोयाला संकट पैदा हुआ था तो बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी ने 5.75 मीट्रिक टन कोयले के आयात के लिए पांच टेंडर जारी किए थे, जिसे केवल अडानी एंटरप्राइजेज को ही दी गई थी। इन पांच टेंडर की कुल राशि 8,422 करोड़ रुपए थे।
कंपनी के अधिकारियों ने पहले जानकारी देते हुए कहा था कि कोयला इंडोनेशिया से आएगा और एनटीपीसी ऑस्ट्रेलिया से आयात करने पर विचार नहीं कर रही है। लेकिन अडानी का ऑस्ट्रेलिया में कारमाइकल कोयला खदान है और इसकी क्षमता 10 एमटी प्रति वर्ष है। ऐसे में एनटीपीसी 10 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा करने के लिए करीब 20 मीट्रिक टन कोयले का ऑर्डर दे सकती है।
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, एनटीपीसी के पास करीब 2.5 मीट्रिक टन आयात करके कोयला आ चुका है और 1.6 मीट्रिक टन बंदरगाहों पर है। उन्होंने कहा कि कंपनी ने 10 मीट्रिक टन का ऑर्डर दिया है और जल्द ही 5 मीट्रिक टन के लिए ऑर्डर देने के लिए बोर्ड की मंजूरी लेगी।
हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि एनटीपीसी को कोयले के आयात से बिजली की लागत 7-8 रुपए प्रति यूनिट तक बढ़ जाएगी, जबकि राष्ट्रीय खनिक कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से घरेलू कोयला खरीदने से 2 रुपए प्रति यूनिट की लागत आएगी। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इससे एनटीपीसी के अंतिम बिजली शुल्क में 50-70 पैसे की वृद्धि होगी, जो यूजर्स को चुकाना होगा।
वैश्विक बाजार में कोयले की कीमत वर्तमान में सीआईएल के कोयले की कीमत का पांच गुना है। आयात कोयले का उपयोग एनटीपीसी के कई स्टेशनों में किया जाएगा। बता दें कि देश में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए घरेलू कोयला स्टॉक पर्याप्त नहीं है, केंद्र ने दो सप्ताह पहले सभी राज्यों और बिजली उत्पादन कंपनियों को मानसून आने से पहले कोयले का आयात करने का निर्देश दिया था। हालांकि, कोयला मंत्रालय ने कहा है कि देश में पर्याप्त स्टॉक और जेनको को पहले से स्टॉक करना चाहिए।