दालों और सब्जियों जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट के चलते अक्टूबर में थोक महंगाई घटकर शून्य से नीचे -1.21 % पर आ गई। थोक महंगाई की गिरावट में मुख्य वजह ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में नरमी भी रही। यह जानकारी शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों में मिली। बता दें कि थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई पिछले साल सितंबर में 0.13 % और पिछले साल अक्टूबर मे 2.75 % रही थी।
उद्योग मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘ अक्टूबर 2025 में महंगाई में गिरावट की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, कच्चे पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस, बिजली, खनिज तेलों और मूल धातुओं के विनिर्माण आदि की कीमतों में नरमी रही।’’
थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सितंबर में 5.22 % के मुकाबले अक्टूबर में 8.31 घटी। प्याज, आलू, सब्जियों और दालों की कीमतों में गिरावट देखी गई।
सब्जियों की महंगाई दर में अक्टूबर में 34.97 % की गिरावट आई जबकि सितंबर में यह 24.41 % थी। दालों में अक्टूबर में 16.50 % की गिरावट दर्ज की गई, जबकि आलू और प्याज में यह क्रमशः 39.88 % और 65.43 % रही।
विनिर्मित उत्पादों के मामले में महंगाई सितंबर के 2.33 % से घटकर 1.54 % हो गई। ईंधन और बिजली की कीमतें अक्टूबर में 2.55 % कम हुईं जबकि पिछले महीने इनमें 2.58 % की गिरावट आई थी।
GST की दरों में 22 सितंबर से प्रभावी कटौती के बाद थोक मूल्य सूचकांक महंगाई में गिरावट अपेक्षित स्तर पर है। कर दरों को युक्तिसंगत बनाने के तहत दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती की गई जिसके तहत चार-स्तरीय कर ढांचे को घटाकर पांच और 18 % की दो श्रेणी में लाया गया। कर कटौती से वस्तुओं की कीमतें कम हुईं तथा पिछले वर्ष की अनुकूल महंगाई आधार के कारण थोक और खुदरा महंगाई दोनों में कमी आई।
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अक्टूबर में खुदरा महंगाई 0.25 % के सर्वकालिक निम्न स्तर पर रही जो जीएसटी दरों में कटौती और पिछले साल के उच्च आधार के कारण कम हुई। सितंबर में खुदरा या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक महंगाई 1.44 % थी। यह आंकड़े पिछले सप्ताह जारी किए गए थे।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) खुदरा महंगाई पर नजर रखता है। केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में नीतिगत दरों को 5.5 % पर अपरिवर्तित रखा था। खुदरा और थोक मूल्य सूचकांक महंगाई में गिरावट से RBI पर तीन से पांच दिसंबर को होने वाली अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव बनेगा।
भाषा के इनपुट के साथ
