जी-20 नेताओं ने सदस्य देशों के बीच कर सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की व्यवस्था स्थापित करने को लेकर आज प्रतिबद्धता जतायी। भारत काले धन की समस्या पर अंकुश लगाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बार-बार इस मुद्दे को उठाता रहा है।
दुनिया के 20 विकासशील और विकसित देशों (जी20) के नेताओं ने कंपनियों द्वारा मुनाफे को एक से दूसरे देश में स्थानांतरित करने जैसी समस्याओं से निपटने की कार्य योजना पर भी सहमति जतायी। कंपनियां उचित कर का भुगतान करें ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करने वाली इस योजना को 2015 तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा जी-20 शिखर सममेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तथा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन समेत अन्य नेताओं ने भाग लिये।
दो दिन चले जी-20 शिखर सममेलन के बाद जारी बयान के अनुसार, ‘‘सीमा पार कर चोरी रोकने के लिये हमने पारस्परिक आधार पर कर सूचना के स्वत: आदान प्रदान के लिए वैश्विक साझा रिपोर्टिंग मानकों पर सहमति जताई है। हम स्वत: ही एक-दूसरे तथा अन्य देशों के साथ 2017 या 2018 के अंत तक सूचनाओं का आदान-प्रदान शुरू करेंगे।’’
बाद में मीडिया को जानकारी देते हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत के शेरपा सुरेश प्रभु ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने काले धन पर अंकुश लगाने के मामले को पुरजोर तरीके से रखा। भारत काला धन प्राप्त करने के लिये अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर रहा है। यह बेहद जरूरी है क्योंकि कर पनाहगाह देशों के कर आधार में संकुचन की आशंका खड़ी कर रहे हैं।’’