देश में महंगे पेट्रोल डीजल का असर अब मांग में भी दिखने लगा है। प्राइमरी इंडस्ट्री डाटा के मुताबिक अप्रैल के शुरूआती 15 दिनों में पिछले महीने की इसी अवधि के मुकाबले पेट्रोल की बिक्री में करीब 10 फीसदी और डीजल की बिक्री में करीब 15.6 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं एक अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच एलपीजी की मांग में 1.7 फीसदी की कमी आई है। यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि महामारी के दौरान भी एलपीजी की मांग में इजाफा देखा गया था।
पेट्रोल- डीजल की कीमत में रिकॉर्ड इजाफा: देश में सरकारी तेल कंपनियों की ओर से नवंबर के बाद से 137 दिनों तक पेट्रोल- डीजल की कीमत में इजाफा नहीं किया था। लेकिन इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में 30 डॉलर प्रति बैरल तक का इजाफा हो गया था। कच्चे तेल की बढ़ती कीमत पर देश में पेट्रोल डीजल की कीमत में वृद्धि न होने पर विपक्ष की ओर से आरोप लगाया गया था कि सरकार 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते कीमत नहीं बढ़ा रही है।
चुनाव खत्म होने के करीब दो हफ्ते के बाद 22 मार्च से सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमत में वृद्धि करनी शुरू कर दी। तब से पेट्रोल और डीजल के दाम में 10 रुपए प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी की जा चुकी है जबकि 22 मार्च को एलपीजी सिलेंडर के दाम में 50 रुपए की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं सीएनजी और पीएनजी के दामों में भी 15 रुपए प्रति किलो तक का इजाफा किया गया है।
अप्रैल में हुई पेट्रोल की बिक्री: पेट्रोलियम इंडस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार सरकारी तेल कंपनियों ने 1 से 15 अप्रैल के बीच 11.20 लाख टन पेट्रोल की बिक्री की थी जबकि पिछले महीने इसी अवधि के दौरान करीब 12.4 लाख टन पेट्रोल की बिक्री की गई थी।
अप्रैल में हुई डीजल की बिक्री: एक अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच डीजल की करीब 30 लाख टन बिक्री हुई है जबकि इस दौरान पिछले महीने करीब 35.3 लाख टन डीजल की बिक्री हुई थी।