देश में ईंधन की मांग मई में घटकर नौ महीने के निचले स्तर पर आ गई है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक ईंधन मांग मई में 1.5 प्रतिशत घटकर 1.51 करोड़ टन रही। यह स्थिति तब है जब मई 2020 में तुलनात्मक आधार पहले से ही कमजोर था। पिछले महीने से यदि तुलना की जाये तो यह मात्रा 11.3 प्रतिशत कम रही है।
पेट्रोल खपत का क्या हाल: आंकड़ों के अनुसार पेट्रोल खपत मई-2021 में 19.9 लाख टन रही जो पिछले साल के मुकाबले 12 प्रतिशत अधिक है। जबकि अप्रैल-2021 के मुकाबले 16 प्रतिशत और कोविड पूर्व स्तर के मुकाबले 27 प्रतिशत कम है। डीजल की बिक्री सालाना आधार पर मई में मामूली बढ़कर 55.3 लाख टन रही लेकिन अप्रैल के मुकाबले 17 प्रतिशत और कोविड पूर्व स्तर के मुकाबले 29 प्रतिशत कम है। यात्रा पाबंदियों के कारण एयरलाइन के परिचालन में कटौती हुई है।
इससे एटीएफ (विमान ईंधन) की बिक्री मासिक आधार पर 36 प्रतिशत घटकर 2,63,000 टन रही। हालांकि मई 2020 में 1,10,000 टन खपत के मुकाबले दोगुने से भी अधिक रही है। कोविड पूर्व एटीएफ की मांग 6,80,000 टन थी।
घरेलू रसोई गैस की बिक्री का हाल: घरेलू रसोई गैस की बिक्री पिछले माह के मुकाबले 21.6 लाख टन पर लगभग स्थिर रही। लेकिन पिछले साल के मुकाबले 5.5 प्रतिशत कम रही है। हालांकि कोविड-पूर्व स्तर मई 2019 से 5.5 प्रतिशत अधिक है। पिछले साल ‘लॉकडाउन’ के दौरान रसोई गैस (एलपीजी) एक मात्र ईंधन थी, जिसमें खपत बढ़ी थी। इसका कारण सरकार ने कोविड-19 राहत पैकेज के तहत मुफ्त सिलेंडर उपलब्ध कराये थे।
क्या है वजह: इसकी वजह कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर की रोकथाम के लिये लगायी गयी पाबंदियों से आवाजाही और आर्थिक गतिविधियों का प्रभावित होना है। आपको बता दें कि देश में पिछले साल कोरोना वायरस संकट के कारण अप्रैल- मई के दौरान कड़ाई से देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ लगाया गया था।
हालांकि, इस साल संक्रमण की स्थिति काफी गंभीर थी, लेकिन पाबंदियां स्थानीय स्तर पर लगायी गयी। व्यक्तिगत रूप से वाहनों के उपयोग पर उतना असर नहीं पड़ा, जितना कि पिछले साल था। साथ ही कारखाने खुले रहे और एक राज्य से दूसरे राज्यों में माल ढुलाई ज्यादा प्रभावित नहीं हुई।
