अमेरकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने के बाद दुनियाभर के बाजारों में अस्थिरता है। पिछले करीब 6 महीने से लगातार गिरावट देख रहे भारतीय शेयर बाजार के लिए यह टैरिफ तो जैसे बरबादी लेकर आया है। आज 7 अप्रैल 2025 को भारतीय स्टॉक मार्केट 9 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। Sensex 3900 अंक गिरकर जबकि Nifty 1100 पॉइन्ट गिरकर खुला। ऐसे में निवेशक एक बार फिर अपने पैसे को सुरक्षित करने के लिए ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट ऑप्शन एफडी यानी फिक्स्ड डिपॉजिट की तरफ रुख करने लग गए हैं।

जी हां, अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो बाजार में जारी उथल-पुथल के बीच निवेश के दूसरे ऑप्शन खोज रहे हैं तो ससोना और एफडी बेस्ट ऑप्शन हैं। पैसों को निवेश करना चाहते हैं लेकिन बाजार जोखिम नहीं चाहते हैं तो बैंक और पोस्टऑफिस की कई ऐसी स्कीम हैं जिनमें आप अपना पैसा लगा सकते हैं। भले ही एफडी और इन सरकारी स्कीमों में शेयर बाजार जैसा मुनाफा ना हो, लेकिन कम फायदे के साथ यह निवेश जोखिमभरा नहीं है।

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क्या है फिक्स्ड डिपॉजिट?

फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) को ‘टर्म डिपॉज़िट’ के नाम से भी जाना जाता है और हिंदी में इसे ‘सावधि जमा’ भी कहते हैं। यह एक निवेश विकल्प है जिसमें एक निश्चित अवधि के लिए पैसा जमा किया जा सकता है। खास बात है कि एफडी में इन्वेस्ट किया गया पैसा सुरक्षित रहता है, जो इसे लोगों के बीच निवेश का एक पॉपुलर विकल्प बनाता है।

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फिक्स्ड डिपॉज़िट की खासियतें ही इसे शॉर्ट टर्म फाइनेंशियल गोल्स को पूरा करने और अपना इमरजेंसी फंड और रिटायरमेंट फंड जमा करने के लिए निवेश का एक पर्फेक्ट ऑप्शन बनाती है।

क्या हैं फिक्स्ड डिपॉजिट के फायदा

-गारंटीड रिटर्न
-DICGC के तहत 5 लाख रु. तक का इंश्योरेंस
-टैक्स-सेविंग FD खोलने पर धारा 80C के तहत 1.5 लाख रु. तक का टैक्स बेनिफिट
-एफडी को लोन या सिक्योर्ड कार्ड लेने के लिए कोलैटरल के तौर पर रखा जा सकता है

क्यों निवेश के सेफ और बेस्ट ऑप्शन है फिक्स्ड डिपॉजिट:

न्यूनतम जमा राशि: एफडी बुक करने के लिए आवश्यक न्यूनतम जमा राशि 100 रु. है, जो बैंकों और एनबीएफसी में अलग-अलग हो सकती है।

फिक्स्ड अवधि: 7 दिनों से लेकर 10 साल तक की FD अवधि चुनें।

फिक्स्ड ब्याज दरें: ब्याज दरें FD की मैच्योरिटी या रिन्यूअल तक एक जैसी रहती हैं। हालांकि, कुछ बैंक फ्लोटिंग फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम भी ऑफर करते हैं, जिसमें FD दरें बाहरी बेंचमार्क से जुड़ी होती हैं और इस तरह, लिंक्ड दरों में होने वाले बदलावों के अनुसार बदल सकती हैं। यानी शेयर बाजार की तरह इसमें उथल-पुथल या पैसा कम-ज्यादा होने का खतरा नहीं होता।

उदाहरण के लिए, FD दरें SBI फ्लोटिंग रेट बल्क टर्म डिपॉजिट स्कीम प्रदान करता है, जिसमें फिक्स्ड डिपॉजिट ब्याज दरें रेपो रेट से जुड़ी होती हैं।

मल्टीपल ब्याज पेमेंट ऑप्शन: मासिक, तिमाही, अर्ध-वार्षिक या सालाना तौर पर ब्याज पाने का विकल्प चुन सकते हैं या कुमुलेटिव विकल्प चुन सकते हैं जिसमें मूलराशि पर मिलने वाले ब्याज को फिर इन्वेस्ट किया जाता है जिसमें कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है।

प्रीमैच्योर विड्रॉल: प्रीमैच्योर विड्रॉल किया जा सकता है, जिस पर पेनल्टी का भुगतान करना होता है।

एफडी के बदले लोन: एफडी के बदले लोन प्राप्त ले सकते हैं, साथ ही गिरवी रखी गई एफडी पर ब्याज मिलता रहेगा।