Electoral Bonds Data MEIL: इलेक्टोरल बॉन्ड, इलेक्टोरल बॉन्ड और इलेक्टोरल बॉन्ड- गुरुवार (15 मार्च 2024) शाम इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने जैसे ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा 12 मार्च को चुनाव आयोग के साथ शेयर किए गया डेटा शेयर किया, देशभर में बवाल मच गया। सोशल मीडिया से लेकर, डिजिटल और टीवी न्यूज और अखबारों की सुर्खियों में सिर्फ इलेक्टोरल बॉन्ड की ही चर्चा रही। चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर आधिकारिक डेटा अपलोड कर सार्वजनिक कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते चुनाव आयोग ने चुनावी बॉन्ड का पूरा डेटा आम लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया। इस लिस्ट में उन कंपनियों के नाम हैं जिन्होंने राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे।
इस लिस्ट में शामिल टॉप-2 कंपनियों में पहली एक लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज (Future Gaming and Hotel Services) और दूसरी मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड {Megha Engineering and Infrastructure Ltd (MEIL)} हैं। बता दें कि फिलहाल MEIL की वेबसाइट काम नहीं कर रही है, सिर्फ होमपेज को ही एक्सेस किया जा सकता है। कंपनी के सभी प्रोजेक्ट और डिटेल को फिलहाल वेबसाइट पर आम लोगों द्वारा एक्सेस नहीं किया जा सकता।
एक दिन में सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली भारतीय कंपनी MEIL
MEIL को आमतौर पर मेघा इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता है। इस कंपनी ने अप्रैल 2019 में पहला और अक्टूबर 2023 में आखिरी बार डोनेशन किया। सबसे बड़ी बात है कि 2019 से 2023 के बीच इस कंपनी ने 966 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे।
एसबीआई द्वारा जारी किए इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा के मुताबिक, MIEL से जुड़ी तीन कंपनियों ने भी काफी बड़ा चंदा राजनीतिक पार्टियों को दिया है। Western UP Power Transmission Company Ltd ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 220 करोड़, SPEC Power ने 40 करोड़ जबकि Evey Trans Private Ltd ने 6 करोड़ रुपये चंदा दिया। इस तरह कुल मिलाकर देखें तो MEIL ने 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे।
चलिए आपको बताते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा चंदा देने वाली दूसरी टॉप कंपनी MEIL के बारे में विस्तार से। साथ ही बताएंगे मेघा इंजीनियरिंग की शुरुआत कैसे और किसने की।
किसने की मेघा इंजीनियरिंग की शुरुआत?
मेघा इंजीनियरिंग एंटरप्राइजेज की शुरुआत 1989 में पी.पी रेड्डी (Pamireddy Pitchi Reddy) ने 1989 में की थी। 1991 में उनके भतीजे पीवी कृष्णा रेड्डी ने उनके साथ कंपनी में काम करना शुरू किया और अब वह इस कंपनी को चलाते हैं। खास बात है कि पी.पी. रेड्डी के परिवार के बिजनेस से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था और उनके पिता एक किसान थे।
2006 में रेड्डी ने इस कंपनी का नाम बदल दिया और यह बन गई Megha Engineering & Infrastructures।
Forbes की रिपोर्ट के मुताबिक, मेघा ने सूखाग्रस्त तेलंगाना में 14 बिलियन डॉलर की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में से एक का निर्माण किया। यह प्रोजेक्ट 2019 में चालू हो गया। 2023 में पीपी रेड्डी को फोर्ब्स की लिस्ट में 54वें सबसे धनी भारतीय के तौर पर जगह मिली।
अगस्त 2018 में MEIL ने टीवी न्यूज वेंचर में एंट्री की और TV9 नेटवर्क में बड़ी हिस्सेदारी खरीद ली।
MEIL की सिस्टर कंपनी SEPC ने नवंबर 2023 में 40 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। खास बात है कि ये बॉन्ड तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की शाम को खरीदे गए। MEIL में ‘wholetime director’ के तौर पर लिस्टेड श्रीनिवास बोंथू SEPC में मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं।
2019 में MEIL पर पड़ी IT रेड
इन सभी प्रोजेक्ट के मिलने से पहले 2019 में कंपनी पर अक्टूबर 2019 में इनकम टैक्स (IT) की रेड पड़ी। IT डिपार्टमेंट ने रेड्डी के दफ्तर, घर और गेस्ट हाउस समेत हैदराबाद में कुल 15 जगहों पर छापामारी की। दिल्ली व मुंबई में भी कंपनी की प्रॉपर्टी पर ईडी की रेड पड़ी।
इसी साल MEIL को कालेश्वरम प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन का कॉन्ट्रैक्ट भी मिला। यह दुनिया के सबसे बड़े इरिगेशन प्रोजेक्ट में से एक है। कंपनी ने आंध्र प्रदेश में पट्टीसीमा इरिगेशन प्रोजेक्ट को रिकॉर्ड टाइम में पूरा किया। MEIL के पास झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में कई बड़ पावर प्रोजेक्ट है। MEIL ने मध्य प्रदेश में खारगोन लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट भी बनाया है।
तेलंगाना में TRS सरकार के करीबी होने के आरोप भी विपक्ष ने MEIL पर लगाए। 2023 में ही मेघा इंजीनियरिंग पर Kaleshwaram Lift Irrigation Scheme में फ्रॉड के आरोप भी लगे। जनवरी में डेक्कन क्रॉनिकल ने रिपोर्ट किया कि मेघा इंजीनियरिंग ने इस स्कीम में आम जनता के हजारों करोड़ रुपये मार लिए। कंप्ट्रोलर एंड ऑडिट जनरल (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट के चलते MEIL को चार पैकेज में ₹5,188.43 करोड़ रुपये चुकाने पड़े। रिपोर्ट में बताया गया कि हो सकता है कि यह अमाउंट और भी बड़ा हो क्योंकि ऐसे 17 और पैकेज थे।
मेघा को मिले एक के बाद एक बड़े प्रोजेक्ट
मेघा इंजीनियरिंग को एक और महत्वाकांक्षी 4509 करोड़ रुपये वाला हिमालय के पास जोजिला टनल (Zojila Tunnel) बनाने का प्रोजेक्ट हासिल हुआ। मेघा ने 18 किलोमीटर ऑल-वेदर ज़ोजिला टनल के 5 किलोमीटर लंबे टनल वर्क को जनवरी 2022 में पूरा कर लिया। आपको बता दें कि ज़ोजिला प्रोजेक्ट एशिया की सबसे लंबी बाय-डायरेक्शनल सुरंग है जिससे श्रीनगर और लद्दाख के बीच बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।
बता दें कि पिछले साल (2023) में MEIL को रक्षा मंत्रालय से 5000 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला। अप्रैल 2023 में MEIL ने मुंबई में थाने-बोरिवली ट्विन टनल प्रोजेक्ट के लिए दो सेप्रेट पैकेज जीते और दिग्गज इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी Larsen & Toubro को मात दी।
मेघा की सब्सिडियरी कंपनी Olectra Greentech की बात करें तो इसके पास 3000 से ज्यादा इलेक्ट्रिक बस उपलब्ध कराने का ऑर्डर है। इस कंपनी ने चीन की BYD से टेक्नोलॉजी ली है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हैदराबाद में रेड्डी के पास एक आलीशान घर है जो डायमंड शेप में है और इसे इसी तरह डिजाइन किया गया है। जिसके चलते इस घर को ‘डायमंड हाउस’ भी कहा जाता है।
जब नितिन गडकरी ने की थी संसद में MEIL की तारीफ
मार्च 2022 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में MEIL की तारीफ की थी। उन्होंने हिमालय के पहाड़ों में ज़ोजिला टनल बनाने के लिए MEIL पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ‘टनल को बनाने की अनुमानित लागत करीब 12000 करोड़ रुपये थी। और मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि जिस कंपनी ने यह प्रोजेक्ट जीता…वही हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग कंपनी है और इसके जरिए हमारी सरकार ने 5000 करोड़ रुपये बचाए हैं।’
मेघा ने एक दिन में खरीदे 100 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड
11 अप्रैल 2023 को मेघा इंजीनियरिंग ने एक दिन में 100 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। और इसके बाद एक महीने के अंदर ही कंपनी को महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार से 14,400 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया। हालांकि, एसबीआई द्वारा जारी किए गए डेटा में यह पता नहीं चला है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया। लेकिन यह अंदाजा लगाना डोनर और पार्टी के संबंध से अंदाजा लगाना आसान है। लेकिन अधिकतर इलेक्टोरल बॉन्ड को एक खास पार्टी को दिए जाने के संकेत जरूर मिले हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘लो-प्रोफाइल मेघा इंजीनियरिंग ने इन्फ्रा में दिग्गज Goliaths को पीछ छोड़ा और पांच साल यानी 2014 से 2019 के बीच कंपनी का रेवेन्यू लगभग दोगुना हो गया और इसके नेट प्रॉफिट में 6 गुना का उछाल आया। इसके साथ ही Larsen & Toubro के बाद यह देश की दूसरी सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी बन गई।’
