आम बजट से पहले शुक्रवार को पेश वार्षिक आर्थिक समीक्षा में बाहरी हालात को चुनौतीपूर्ण करार दिया गया है, बावजूद इसके अगले वित्त में आर्थिक वृद्धि 7-7.5 प्रतिशत रहने की संभावना जाहिर की गई है। समीक्षा में कहा गया है कि अगले कुछ साल में जीडीपी वृद्धि दर बढ़कर आठ प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।
संसद में पेश वित्त वर्ष 2015-16 के आर्थिक सर्वेक्षण में नीति और नियमों में सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया गया है ताकि वृहत्-आर्थिक स्थिरता को बनाए रखते हुए तीव्र वृद्धि के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों और 2015-16 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अनुमानित स्तर से कम रहने के बावजूद 3.9 प्रतिशत राजकोषीय लक्ष्य प्राप्त करने योग्य नजर आता है। समीक्षा में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2014-15 में 7.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर्ज करने के बाद अब चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहेगी। समीक्षा में हालांकि चेतावनी दी गई है कि यदि विश्व अर्थव्यवस्था में नरमी बरकरार रहती है तो भारत की वृद्धि दर को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
समीक्षा की अन्य मुख्य बातें
– सरकारी क्षेत्र बैंकों को 2018-19 तक 1.8 लाख करोड़ रुपए की इक्विटी पूंजी की जरूरत
– चालू खाते का घाटा 1-1.5 प्रतिशत, विदेशी मुद्रा भंडार फरवरी मध्य तक 351.5 अरब डालर
– वित्त वर्ष 2015-16 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि 9.2 प्रतिशत
– विदेशी पूंजी निकासी संभव को देखते हुए घरेलू मांग बढ़ाने का सुझाव
– हालिया सुधार के कारण औद्योगिक, बुनियादी ढांचा, कार्पोरेट क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद
– स्वास्थ्य, शिक्षा, में और निवेश, कृषि पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत
– सरकारी कर राजस्व बजट अनुमान से अधिक रहेगा
– निर्यात में नरमी बरकरार रहेगी, अगले वित्त वर्ष में तेजी आएगी
– भारत को व्यापार में संरक्षणवादी पहलों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए
– उर्वरक क्षेत्र के लिए सुधार पैकेज का सुझाव