मंदी की दस्तक के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने हाल ही में कई बड़े कदम उठाए थे। इनमें एफपीआई (Foreign Portfolio Investors) पर ज्यादा सरचार्ज लगाने के बजट के फैसले को वापस लेना भी शामिल था। हालांकि, बाजार के मूड पर इसका असर पड़ता नजर नहीं आया। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अगस्त महीने में भारतीय पूंजी बाजारों से 5,920 करोड़ रुपये निकाले हैं।

बता दें कि सरकार ने पिछले हफ्ते ही एफपीआई पर लगाए गए बढ़े हुए सरचार्ज को वापस लेने की घोषणा की है। मॉर्निंगस्टार के सीनियर एनालिस्ट मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अगस्त में पूंजी बाजारों (शेयर और कर्ज) से निकासी उम्मीदों के मुताबिक नहीं है क्योंकि सरकार पिछले हफ्ते ही विदेशी और घरेलू निवेशकों पर बजट में अमीर लोगों पर सरचार्ज बढ़ाने का फैसला वापस लेने का ऐलान कर चुकी है।

डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, एक से 30 अगस्त के दौरान एफपीआई ने शेयरों से 17,592.28 करोड़ रुपये की नेट रकम निकाली। इस दौरान उन्होंने शुद्ध कर्ज या बॉन्ड बाजार में 11,672.26 करोड़ रुपये की नेट रकम डाली। इस तरह उनकी कुल निकासी 5,920.02 करोड़ रुपये रही। इससे पहले, जुलाई में विदेशी निवेशकों ने पूंजी बाजार से शुद्ध रूप से 2,985.88 करोड़ रुपये निकाले थे।

बता दें कि एफपीआई ने भारतीय पूंजी बाजारों में जून में शुद्ध रूप से 10,384.54 करोड़ रुपये, मई में 9,031.15 करोड़ रुपये, अप्रैल में 16,093 करोड़ रुपये, मार्च में 45,981 करोड़ रुपये और फरवरी में 11,182 करोड़ रुपये का निवेश किया था। श्रीवास्तव ने कहा, ‘घरेलू अर्थव्यवस्था की मंद पड़ती रफ्तार, वैश्विक बाजार में उठापटक और अमेरिका व चीन के बीच ट्रेड वॉर की वजह से वैश्विक मंदी की आशंकाए सरचार्ज हटाने के बाद बने सकारात्मक माहौल पर भारी पड़ी हैं।’

वहीं, जियोजिट फाइनेंशियल सर्विसेज के एमडी सीजे जॉर्ज ने कहा, ‘विकास की रफ्तार, कॉर्पोरेट की कमाई आदि को लेकर बाजार में जरा सी नकारात्मकता है। इसके अलावा, नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस भी समस्याओं में घिरे हुए हैं। घरेलू और विदेशी निवेशक दोनों ही अर्थव्यवस्था की मूलभूत दिक्कतों को लेकर चिंतित है। मुझे लगता है कि सरकार की कोशिशों का तब तक मनमुताबिक असर नहीं पड़ेगा, जब तक ओवरऑल सेंटिमेंट सकारात्मक न हो।’

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)