ऑटोमोबाइल सेक्टर में गिरावट और आर्थिक मंदी की आहट के बीच वित्तमंत्री सीमातरण ने हाल के दिनों में चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने देशभर में ऑटोमोबाइल सेक्टर में गिरावट के लिए ओला और उबर कैब सर्विस कंपनी को जिम्मेदार ठहराया। वित्तमंत्री ने कहा कि ‘ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर बीएस6 और लोगों की सोच में आए बदलाव का असर पड़ रहा है। लोग नई गाड़ी खरीदने के बजाय ओला या उबर को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।’

अब आंकड़ों पर नजर डाले तो वित्तमंत्री का मंदी के लिए ओला और उबर को जिम्मेदार ठहराने वाला बयान मेल नहीं खाता। ऐसा इसिलए है क्योंकि कैब सर्विस कंपनी उबर ने इंजीनियरिंग और प्रोडक्ट टीम में काम कर रहे 435 लोगों को नौकरी से निकाल दिया। कंपनी ने इससे पहले जुलाई में भी मार्केटिंग डिपार्टमेंट से करीब 400 लोगों को नौकरी से निकाल दिया। अपने कर्मचारियों के भेजे एक ईमेल ने उबर ने इसकी जानकारी दी।

कंपनी ने कहा कि इस छटनी से प्रोजेक्ट और प्रोडक्ट टीम में काम कर रहे करीब आठ फीसदी कर्मचारी बाहर हो गए हैं। यह कंपनी के कुल कर्मचारियों की संख्या का करीब तीन फीसदी है। टेकक्रंच की रिपोर्ट एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने जिन कर्मचारियों की छटनी की उनमें से 85 फीसदी अकेले अमेरिका के हैं। इसी बीच कंपनी ने उन कर्मचारियों की भर्ती को स्थिर रखा है जिन्हें पिछले महीना हायर किया गया।

वहीं कर्मचारियों की छटनी पर कंपनी की प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें उम्मीद है आगे हालात सुधरेंगे। कंपनी प्राथमिकता के हिसाब से काम कर रही है और उच्च प्रदर्शन के आधार पर अपने को जवाबदेह बनाए हुए हैं।

भारतीय बाजार की बात करें तो जून में ईटी एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि ओला और उबर की ग्रोथ रेट सुस्त पड़ गई है। रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले छह महीनों के दौरान ओला और उबर की डेली राइड में महज चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई। पहले डेली राइड्स 35 लाख थी जो अब बढ़कर 36.5 लाख ही पहुंच सकी है।