भारत में ई-श्रम पोर्टल पर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 7.86 करोड़ से अधिक श्रमिकों का पंजीकरण हुआ है। बता दें कि यह असंगठित श्रमिकों का देश का पहला केंद्रीकृत डेटाबेस है। इसमें सबसे अधिक ओबीसी, एससी, एसटी के लोगों का पंजीकरण हुआ है। जिसमें 40.5 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), 23.7 फीसदी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के 8.3 प्रतिशत श्रमिकों का पंजीकरण हुआ है। वहीं सामान्य वर्ग की बात करें तो यह संख्या 27.4 फीसदी है।
बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जाति की जनसंख्या 16.2 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों 8.2 प्रतिशत थी। वहीं ओबीसी की संख्या की सटीक और विस्तृत जानकारी तो नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) द्वारा 2007 में हुए एक सर्वेक्षण में ओबीसी की जनसंख्या 40.9 प्रतिशत आंकी गई थी। इसके अलावा सामान्य वर्ग की जनसंख्या लगभग 34 प्रतिशत है।
आंकड़ों से पता चलता है कि पोर्टल पर सबसे अधिक पंजीकरण कृषि क्षेत्र (53.6 प्रतिशत) से है। इसके बाद निर्माण क्षेत्र से 12.2 प्रतिशत और 8.71 फीसदी घरेलू कामगारों का नंबर आता है। गौरतलब है कि यह पोर्टल असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के प्राथमिक और द्वितीयक व्यवसायों की जानकारियों को रिकॉर्ड कर रहा है। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के लोग नियमित रूप से दो व्यवसायों की रिकॉर्डिंग कर रहे हैं।
कृषि क्षेत्र में पंजीकरण: पश्चिम बंगाल 13.38 प्रतिशत(1.05 करोड़) के साथ सबसे आगे है। इसके बाद ओडिशा 10.5 प्रतिशत (82.6 लाख), उत्तर प्रदेश 9.15 प्रतिशत (71.9 लाख), बिहार 5.71 प्रतिशत (44.9 लाख) है। वहीं झारखंड में यह आंकड़ा 3.03 प्रतिशत (23.82 लाख) है। बता दें कि इसमें सबसे अधिक रजिस्ट्रेशन फसल व खेत मजदूरों और सब्जी उत्पादकों के लिए किए गए हैं।
निर्माण क्षेत्र में: पश्चिम बंगाल में 17.03 लाख, उत्तर प्रदेश 14.95 लाख, बिहार में 13.13 लाख और ओडिशा 12.04 लाख पंजीकरण निर्माण क्षेत्र में हुए हैं।
घरेलू और घरेलू कामगारों के क्षेत्र में: पोर्टल पर तीसरा सबसे अधिक पंजीकरण ‘घरेलू और घरेलू कामगारों’ की व्यवसाय श्रेणी के लिए देखा गया है। जिसकी संख्या 68.47 लाख है। इसमें घरेलू रसोइयों के लिए 56.02 लाख, सफाईकर्मियों और सहायकों के लिए 12.45 लाख है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में घरेलू और घरेलू कामगारों के लिए सबसे अधिक 21.63 लाख पंजीकरण किए गए हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 14.29 लाख और बिहार में 13 लाख है।
आय के हिसाब वर्गीकृत करने से पता चलता है कि 92 प्रतिशत पंजीकृत लोगों की मासिक आय 10,000 रुपये या उससे कम है। वहीं 6 प्रतिशत की आय 10,000 से 15,000 रुपये के बीच है। इसके अलावा 1 फीसदी की आय 15,000-18,000 रुपये के बीच है। इसके अलावा 0.5 फीसदी की आय 18,000-21,000 रुपये के बीच है।