वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि सरकार अगले चार साल में कॉरपोरेट कर घटाकर 25 फीसदी करने की पहल तौर पर कुछ दिनों में उन कर-छूटों की सूची लेकर आएगी जिन्हें खत्म किया जाना है।
मंत्री ने यह भी कहा कि विनिर्माताओं द्वारा की जा रही डंपिंग से घरेलू इस्पात क्षेत्र को सुरक्षा प्रदान करने की पहलों की पड़ताल की जा रही है। उन्होंने कहा कि कर से जुड़ी हर मांग को ‘कर आतंकवाद’ करार नहीं दिया जा सकता और सरकार भारत या विदेश में काले धन के मुद्दे पर नरम नहीं पड़ेगी।
आम बजट में कॉरपोरेट कर घटाने की घोषणा के संबंध में जेटली ने कहा कि अगले कुछ दिनों में ऐसी कर छूटों की सूची लेकर आएंगे जिन्हें लोग पहले खत्म करना चाहते हैं। आगामी चार साल में कॉरपोरेट कर में पांच प्रतिशत की कटौती होगी और बहुत सी छूटें खत्म होंगी।
ब्रिटेन की इकॉनामिस्ट पत्रिका द्वारा आयोजित ‘इंडिया समिट 2015’ में जेटली ने कहा ‘‘इस तरह हम कराधान प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाएंगे और केवल कई तरह की छूटें खत्म कर कराधान आकलन और रिटर्न को का आसान बनाएंगे।’’
वित्त मंत्री ने 2015-16 के आम बजट में घोषणा की थी कि सरकार अगले चार साल में कॉरपोरेट कर 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने की घोषणा करेगी ताकि दरें प्रतिस्पर्धी देशों के अनुरूप हों। इस्पात के विभिन्न खंडों में आयात में बढ़ोतरी के मद्देनजर रक्षोपाय महानिदेशालय (डीजीएस) ने चीन, कोरिया, जापान और रूस से इस्पात के आयात पर जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
जेटली ने कहा कि सरकार इस्पात की खपत करने वाले उद्योग और घरेलू उत्पादों के हितों के बीच संतुलन कर रही है और इस क्षेत्र की मौजूदा समस्या वाह्य कारकों के कारण है। उन्होंने कहा ‘यह बाहरी मुद्दा है। हमने अपना शुल्क (इस्पात आयात पर) दो बार आंशिक तौर पर बढ़ाया है।
हम अन्य पहलों पर विचार कर रहे हैं और गंभीरता से पड़ताल कर रहे हैं ताकि हम समस्या का समाधान कर सकें और ये इस्पात की डंपिंग के खिलाफ रक्षात्मक कार्रवाई हो सकती है।’ सरकार ने एक रपट में कहा था कि आयात बढ़ने के कारण 2013-14 से घरेलू उत्पादकों की हिस्सेदारी घट रही है और 2015-16 में यह 45 प्रतिशत से घटकर 37 प्रतिशत रह सकती है।
काले धन पर पूछे गए सवालों के जवाब में जेटली ने कहा कि यह समस्या कुछ लोगों तक सीमित है और सरकार इस मुद्दे पर नरम नहीं पड़ेगी क्योंकि उसे अपने सारे संसाधनों को बैंकिंग प्रणाली में लाना है।
देश से बाहर जमा गैरकानूनी परिसंपत्ति की समस्या से निपटने के लिए सरकार काले धन पर एक कानून लायी है। इस कानून के तहत 90 दिन की अनुपालन सुविधा प्रदान की गई है जिसके तहत लोग विदेश में जमा परिसंपत्ति की घोषणा कर सकते हैं और 60 प्रतिशत कर और दंड का भुगतान कर इससे मुक्त हो सकते हैं।
विदेशों में जमा अघोषित धन सम्पत्ति का विवरण प्रस्तुत कर नियमों के अनुपालन का मौका 30 सितंबर को खत्म हो जाएगा। उसके बाद आयकर विभाग ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई करेगा और ऐसे लोगों पर 120 प्रतिशत कर एवं जुर्माना के साथ साथ उन्हें 10 साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है।
जेटली ने कहा कि कोई यह दावा नहीं कर सकता कि उसे काला धन रखने और उसका लेन-देन करने का मौलिक अधिकार है क्यों कि यह अर्थव्यवस्था के लिए घातक है। उन्होंने कहा, ‘कोई भी अर्थव्यवस्था इस आधार (कालेधन) पर कायम नहीं रह सकती।
इसलिए जो काले धन के मुद्दे पर असहमत हैं उनसे मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि हम असहमत होने को लेकर सहमत होंगे लेकिन यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर नरमी नहीं की जा सकती।’ जेटली ने कहा कि बैंकिंग सेवाओं का विस्तार, भुगतान बैंक तथा अन्य योजनाओं की शुरुआत का लक्ष्य सभी तरह के संसाधनों को बैंकिंग प्रणाली के तहत लाना है।
उन्होंने कहा, ‘मैं आपको बड़ी असहजा से यह बताना चाहता हूं कि मेरे पास शिष्टमंडल आ रहे हैं जो कह रहे हैं कि घरेलू काले धन पर थोड़ी नरमी बरती जाए क्योंकि इससे कम से कम आर्थिक गतिविध में इजाफा होगा। कोई भी अर्थव्यवस्था इस तरह की दलीलों पर अनिश्चित काल के लिए कायम नहीं रह सकती।’
यह पूछने पर कि क्या काले धन पर सख्त पहल करने से रीयल एस्टेट को नुकसान हो रहा है, उन्होंने कहा ‘निर्माण क्षेत्र में नरमी आर्थिक वजहों से आई है। कुछ और वजहें हो सकती हैं, भूमि से जुड़ी वजह भी हो सकती है। ब्याज दर भी इसकी एक वजह हो सकती है।’
अप्रैल 2016 से वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करने के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए जेटली ने कहा, ‘कांग्रेस की बाधा डालने की नीति के कारण तारीख, आज मेरे नियंत्रण में नहीं है लेकिन उम्मीद है कि देर-सबेर यह पारित हो जाएगा और हमारे यहां अपेक्षाकृत बहुत आसान अप्रत्यक्ष प्रणाली होगी।’
सरकार ने हालांकि एक अप्रैल से जीएसटी लागू करने का प्रस्ताव रखा है लेकिन राज्य सभा में राजग के पास बहुमत नहीं होने के कारण राजनीतिक गतिरोध के बीच वहां संबंधित संविधान संशोधन विधेयक अटका हुआ है। उन्होंने कहा कि कर संबंधी हर तरह की मांग को ‘कर आतंकवाद’ करार देना गलत है।
जेटली ने कहा, ‘किसी को भी भारी-भरकम कर अदा करके खुशी नहीं होती, इसलिए हर तरह की कर संबंधी मांग को कर आतंकवाद नहीं करार दिया जा सकता। ज्यादातर कर संबंधी मांग वैध हैं। करीब 3.5 करोड़ में सिर्फ दो लाख लोग इन जांच रपटों को स्वीकार करते हैं। राजस्व विभाग जिस नयी प्रणाली का अनुपालन कर वह जोर-जबर्दस्ती वाली नहीं है।’
मंत्री ने कहा कि सरकार का कराधान का खाका बेहद साफ है। जेटली ने कहा ‘हमने पिछली तारीख से कराधान के विचार को विराम दे दिया है। सरकार की ऐसी कोई मंश नहीं है।’
उन्होंने कहा कि सरकार एक को (वोडाफोन के कर संबंधी मामले) छोड़कर सभी बड़े मामले को न्यायिक प्रणाली से बाहर सुलझाने की कोशिश कर रही है। वोडाफोन का मामला न्यायिक प्रक्रिया के जरिए सुलझाया जाएगा।
मंत्री ने कहा ‘पिछली सरकार के समय से बचे मामलों में से एक या दो रह गए हैं। मुझे लगता है कि इन्हें विराम देने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। कराधान प्रणाली में अस्थिरता का अब धीरे-धीरे समाधान हो रहा है।’