पूरी दुनिया की तरह भारत में भी हाल के दिनों में इलेक्ट्रिक कारों (Electric Car) का चलन तेजी से बढ़ा है। टाटा (Tata) और महिंद्रा (Mahindra) जैसी घरेलू कंपनियों की इलेक्ट्रिक कारें लोग पसंद कर रहे हैं। सरकार फेम योजना (Fame Scheme) के तहत अब ई-बाइक (Electric Bike) पर भी सब्सिडी देने की तैयारी में है। एलन मस्क (Elon Musk) की टेस्ला (Tesla) दुनिया भर में धूम मचाने के बाद भारत में लांचिंग की तैयारी में है। हालांकि आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि इलेक्ट्रिक कारों का इतिहास 130 साल से भी अधिक पुराना है। 1947 में जापान में बनी तामा (TAMA Electric Car) को देखें तो यह टेस्ला की कारों को टक्कर देने लायक थी।
1890 में बनी थी पहली Electric Car
इलेक्ट्रिक कार के लिए सबसे जरूरी चीज है बैटरी से चलने वाला इलेक्ट्रिक मोटर। ऐसे मोटर 19वीं सदी की शुरुआत में ही अस्तित्व में आ गए थे। विलियम मॉरिसन नामक एक प्रयोगधर्मी ने 1890 में एक इलेक्ट्रिक कार बनाई थी। इसे दुनिया की पहली इलेक्ट्रिक कार का श्रेय प्राप्त है। पोर्श कंपनी ने 1898 में पी1 नाम से अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार तैयार की थी। चूंकि ये कारें न शोर करती थीं और न ही इनसे धुआं होता था, इन्हें तेजी से लोकप्रियता मिली। सन 1900 में अमेरिका के न्यूयॉर्क की सड़कों पर 60 से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें टैक्सी सेवा में यूज हो रही थीं।
आधुनिक इलेक्ट्रिक कारों के टक्कर की थी 1947 की TAMA Electric Car
इनोवेशन के लिए प्रसिद्ध जापान इलेक्ट्रिक कारों के इतिहास में भी अहम स्थान रखता है। जापान की कार कंपनी तोक्यो इलेक्ट्रो ऑटोमोबाइल कंपनी ने तामा (TAMA Electric Car) नाम से एक इलेक्ट्रिक कार तैयार की थी। इस कार में ताचिकावा एयरक्राफ्ट की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था। इस कार को पहली बार 1947 में बाजार में उतारा गया था।
यह द्वितीय विश्वयुद्ध के तुरंत बाद का समय था। परमाणु हमले और हार के बाद जापान आर्थिक रूप से बदहाली झेल रहा था। देश में तेल, खाद्यान्न आदि की भारी कमी थी। चूंकि उद्योग-धंधे विश्वयुद्ध की भेंट चढ़ चुके थे, जापान में बिजली के मामले में सरप्लस की स्थिति हो गई थी। ऐसे में जापान की सरकार बिजली से संबंधित इनोवेशन को प्रोत्साहित कर रही थी। तोक्यो इलेक्ट्रिक ऑटो कंपनी इन्हीं प्रयासों के तहत बनाई गई थी।
एक चार्ज में 200 किलोमीटर तक का रेंज देती थी TAMA Electric Car
तामा इलेक्ट्रिक कार के फीचर की बात करें तो यह पहले परीक्षण में एक बार चार्ज करने पर 96 किलोमीटर चल पाया था। पहली दौड़ में इस कार ने 35 किलोमीटर प्रति घंटे तक की स्पीड दी थी। कंपनी ने बाद में तामा में कुछ सुधार किए। इससे यह कार एक बार चार्ज करने पर 200 किलोमीटर तक का रेंज और 50 किलोमीटर प्रति घंटे तक की स्पीड देने लगी थी।
अभी के समय की लोकप्रिय इलेक्ट्रिक कारों को देखें तो टेस्ला की बेसिक इलेक्ट्रिक कार मॉडल3 400 किलोमीटर के आस-पास का रेंज दे पाती है। इसकी टॉप स्पीड 225 किलोमीटर प्रति घंटे तक की है। घरेलू कंपनियों को देखें तो टाटा की नेक्सन ईवी एक बार चार्ज करने पर 300 किलोमीटर के करीब चल पाती है। यह कार 120 किलोमीटर प्रति घंटे तक का स्पीड दे पाती है।
1951 तक धड़ल्ले से हुई इस्तेमाल
तामा कार की बात करें तो उसमें अभी की तरह लिथियम आयन बैटरी के बजाय पारंपरिक लीड एसिड बैटरी का इस्तेमाल किया गया था। कंपनी ने इसके लिए कार के दोनों साइड में स्लाइड होने वाला स्पेस दिया था, ताकि बैटरी बदलने में आसानी हो। पहले तामा का दो सीटर वैरिएंट लांच किया गया था। बाद में कंपनी ने 4 सीटर सेडान वैरिएंट भी पेश किया था, जिसे E4S-47 I कोडनेम दिया गया था। 1951 तक यह कार जापान में टैक्सी सेवाओं में बड़े स्तर पर इस्तेमाल हुई। कहा जाता है कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान के पुनर्निर्माण में तामा इलेक्ट्रिक कार की अहम भूमिका थी।
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2010 में लांच हुई पहली आधुनिक इलेक्ट्रिक कार
तोक्यो इलेक्ट्रो ऑटोमोबाइल कंपनी का नाम बाद में बदलकर प्रिंस मोटर्स हो गया था, जिसे निसान ने 1966 में खरीद लिया था। बाद में 2010 में जब पहली आधुनिक इलेक्ट्रिक कार निसान लीफ तैयार की गई, तब कंपनी ने तामा को भी रिस्टोर किया। आज मूल फीचर के साथ रिस्टोर तामा इलेक्ट्रिक कार का यह मॉडल निसान के दफ्तर में शोकेस में रखा हुआ है।