एवेन्यू सुपरमार्ट्स लिमिटेड, जिसे लोग डीमार्ट के नाम से जानते हैं, अक्सर इसे ‘उबाऊ’ कहा जाता रहा है। इसकी वजह यह है कि यह चकाचौंध से दूर रहकर बस किराना, FMCG और थोड़े-बहुत कपड़े सस्ते दामों पर बेचता है। न बड़े-बड़े विज्ञापन, न सेलिब्रिटी का चेहरा। फिर भी, बोरिंग ही असल मुद्दा है।
फाइनेंशियल हेल्थ
इसका वित्त वर्ष 2023 में 48,840 करोड़ रुपये से रेवेन्यू वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 59,358 करोड़ रुपये हो गया, जो 17 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) है। वन-टाइम टैक्स बेनिफिट को छोड़कर नेट प्रॉफिट 2,707 करोड़ रुपये रहा।
EBITDA के स्तर पर मार्जिन थोड़ा कम होकर 7.9% हो गया, लेकिन DMart अभी भी इंडस्ट्री में अग्रणी रिटर्न दे रहा है, जिसमें ROCE 17.8% और ROE 13.4% है।
तेजी से ओपन कर रहे स्टोर
वित्त वर्ष 25 के अंत में इसने 415 स्टोर खोले और इस वर्ष 50 स्टोर जोड़े, जो एक रिकॉर्ड स्पीड है। मैनेजमेंट ने हर साल बेस स्टोर नेटवर्क का 10-20% जोड़ने की अपनी रणनीति दोहराई। कंपनी ने यह भी बताया कि उसके पास पहले से ही लगभग 600 स्टोरों को सपोर्ट करने के लिए रियल एस्टेट और कर्मचारी पाइपलाइन मौजूद है, जो इसके वर्तमान आधार से कहीं अधिक नजरिया प्रदान करता है।
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प्राइवेट लेबल की खाई
डीमार्ट का 20-20-20 फॉर्मूला-
– 20 फीसदी मार्केट शेयर लेना
– ब्रांड से 20 फीसदी सस्ता बेचना
– 20 फीसदी ज्यादा मार्जिन कमाना
क्विक कॉमर्स कोई खतरा नहीं
आलोचकों का वर्षों से कहना है कि ब्लिंकिट, ज़ेप्टो, स्विगी इंस्टामार्ट जैसे क्विक कॉमर्स, DMart को कमज़ोर कर देंगे और शायद उसके पतन का कारण बनेंगे।
लेटेस्ट आंकड़े कुछ और ही बताते हैं। सामान्य SKU की एक टोकरी ब्लिंकिट पर 20% और स्विगी पर DMart की तुलना में 19% अधिक महंगी थी। इसकी वजह क्विक कॉमर्स में पिकिंग, पैकिंग और डिलीवरी की लागत आती है, जबकि DMart में ऐसा नहीं है।
बड़े पैमाने पर DMart 14-15% सकल मार्जिन के साथ काम चला सकता है, जबकि क्विक कॉमर्स के लिए 20%+ की आवश्यकता होती है। क्विक कॉमर्स की असली लड़ाई किराना स्टोर्स के खिलाफ है, DMart के खिलाफ नहीं।
सीईओ का बदलाव
दूसरा बड़ा विषय नेतृत्व है। नेविल नोरोन्हा, जिन्होंने DMart को एक रिटेल पावरहाउस बनाया, पद छोड़ रहे हैं। वह हिंदुस्तान यूनिलीवर में लगभग 8 साल काम करने के बाद 2004 में कंपनी में शामिल हुए थे, जहाँ उन्होंने मार्केट रिसर्च, सेल्स और मॉडर्न ट्रेड में काम किया था। उनके उत्तराधिकारी, अंशुल असावा, भी यूनिलीवर के अनुभवी हैं।
मार्जिन और रिस्क (Margin and Risk)
अच्छी खबरों के बावजूद, कुछ उथल-पुथल अभी भी बनी हुई है। डीमार्ट के निकट भविष्य के आँकड़े अस्थिर रह सकते हैं। ज्यादा स्टोर खुलने का मतलब है अधिक शुरुआती लागत और कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी। प्रति स्टोर कर्मचारी लागत बढ़ने की उम्मीद है, जिससे मार्जिन कम हो सकता है।
इसके अलावा, तेज तर्रार वाणिज्य अप्रत्याशित तरीकों से विकसित हो सकता है, FMCG कंपनियां D2C चैनलों के साथ अधिक आक्रामक हो सकती हैं और खाने-पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी, डीमार्ट की कम कीमत वाली स्थिति की परीक्षा ले सकती है।
फिर भी, जो निवेशक केवल तिमाही उतार-चढ़ाव पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वे बड़ी तस्वीर को देखने से चूक जाते हैं।
डीमार्ट के पास एक और चीज अनुशासन है। यह सनक के पीछे नहीं भागता, विज्ञापन में पैसा नहीं लगाता।
वैल्यूएशन पजल (The valuation puzzle)
डीमार्ट अभी 105x आय (PE) पर ट्रेड कर रहा है। ये बहुत ऊंचा है और इस लेवल से अच्छे रिटर्न देना आसान नहीं होगा। लेकिन भारत में मॉडर्न रिटेल की पहुंच अभी भी चीन की तुलना में बहुत कम है। इसका मतलब है डीमार्ट के पास लंबा रनवे है। बस इसे लगातार स्टोर बढ़ाने होंगे, प्राइवेट लेबल्स को गहराना होगा और लागत का फायदा बनाए रखना होगा।
लंबी दौड़ (The Long Game)
डीमार्ट ‘Dead’ हो गया जैसी बातें हमेशा होंगी। ये शॉर्ट-टर्म में बिकती हैं लेकिन हर बार डीमार्ट एडजस्ट करता है, बढ़ता है और कम्पाउंड करता है। इस शेयर को 2017 की लिस्टिंग से अब तक निवेशकों ने 7 गुना होते देखा है। उत्तर भारत में एक्सपेंशन, प्राइवेट लेबल की ग्रोथ और मजबूत स्टोर इकॉनॉमिक्स के साथ डीमार्ट फिर से लंबे सफर की तैयारी कर रहा है। इंडियन रिटेल की लंबी रेस में, डीमार्ट अब भी सबसे भरोसेमंद ‘कम्पाउंडिंग मशीन’ जैसा दिखता है। शेयर की कीमत कैसे चलेगी, यह अलग मुद्दा है।
[डिस्क्लेमर: ये आर्टिकल केवल जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से निवेश सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। Jansatta.com अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।]