औद्योगिक नीति व संवर्द्धन विभाग (डीआइपीपी)ने रक्षा, एकल ब्रांड खुदरा और निर्माण समेत विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआइ नीति के उदारीकरण के हालिया फैसलों संबंधित नई व्यवस्था अधिसूचित कर दी है। डीआइपीपी ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ)आकर्षित करने के लिए विनिर्माण की शर्तों को भी परिभाषित किया है।

सरकार ने देश में विदेशी विनिर्माताओं को ई-वाणिज्य मंचों सहित वस्तुओं की थोक और खुदरा बिक्री की अनुमति दी इसके लिए उन्हें सरकार से मंजूरी नहीं लेनी होगी। डीआइपीपी के प्रेस-नोट में लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी में एफडीआइ के उद्येश्य से ‘नियंत्रण’ शब्द को भी परिभाषित किया गया है। प्रेस-नोट डीआइपीपी द्वारा जारी एक आधिकारिक दस्तावेज होता है जिसके जरिए विभाग यह जानकारी मुहैया कराता है कि कौन की नई एफडीआइ नीति या पहले से चल रही नीति में किस तरह के बदलाव किए गए हैं।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मानदंडों में उल्लेखनीय बदलाव करते हुए सरकार ने 10 नवंबर को रीयल एस्टेट, रक्षा, नागर विमानन और समाचार प्रसारण समेत 15 क्षेत्रों को खोलने का फैसला किया था ताकि सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले डीआइपीपी ने बागान क्षेत्र में एफडीआइ नीति में उदारीकरण को अधिसूचित किया है। अब काफी, रबर, इलायची, आयल-पाम और जैतून की बागवानी विदेशी कंपनियों के लिए खोल दी गई है। पहले इनमें विदेशी निवेश की पाबंदी थी। प्रेस सूचना में कहा गया कि रक्षा क्षेत्र में अब बिना किसी पूर्व अनुमति के 49 फीसद तक एफडीआइ निवेश की मंजूरी होगी।

इसी तरह टेलीपोर्ट, डीटीएच, केबल नेटवर्क और मोबाइल टीवी में एफडीआई सीमा बढ़ाने के अलावा समाचार और सामयिक चर्चा चैनलों की अपलिंकिंग में भी एफडीआई सीमा बढ़ाकर 49 फीसद की गई है। प्रेस नोट में कहा गया है- सूचना व प्रसारण क्षेत्र में जहां क्षेत्रवार सीमा बढ़ाकर 49 फीसद कर दी गई है, बशर्ते कंपनी का स्वामित्व और नियंत्रण भारतीय नागरिकों के पास हो और ऐसी कंपनियों का स्वामित्व और नियंत्रण भारत में रहने वाले नागरिकों के पास होना आवश्यक होगा। गैर-अधिसूचित हवाई परिवहन सेवाओं में खुद स्वीकृत मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर सौ फीसद कर दी गई। डीआइपीपी ने निर्माण और एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआइ के नियमों को उदार बनाने के निर्णयों को भी अधिसूचित किया है।